कानपुर। 10 से 13 नवम्बर तक चार दिवसीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन अभूतपूर्व वातावरण में सम्पन्न हुआ। हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई-सभी वर्ग के लोगों ने उपस्थित होकर सर्वधर्म समभाव का ऐसा दृश्य उपस्थित किया जैसा इससे पहले कभी नहीं देखा गया।
स्थानीय फूलबाग ने चार दिन के लिये राष्ट्रीय मेले का रूप ले लिया। वक्ताओं ने आज की समस्याओं और उनके समाधान के उपाय बताये जिन्हें उपस्थित जन समुदाय ने आज की स्थिति में सही निदान बताया है। इनमें भाषावाद, क्षेत्रवाद, सम्प्रदायवाद के उन्मूलन ही नहीं, सामाजिक समस्याओं यथा दहेज उन्मूलन ही नहीं, सामाजिक समस्याओं एवं संस्कार संवर्धन जैसी समस्याओं का उल्लेख भी हुआ।
उपस्थितों में नगर के जिलाधिकारी डी.आई.जी. चेयरमैन, वी.आई.पी., उपप्रशासक, विधायक एवं साँसद प्रमुख थे। मंगल कलश जुलूस में प्रायः 5000 महिलाओं, यज्ञ में दस हजार एवं श्रोताओं की संख्या प्रतिदिन 15 से 50 हजार तक रही। सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपने गीत, सबद ओर कव्वालियाँ प्रस्तुत की। गायत्री की 14 शक्ति धाराओं की 14 प्रतिमाओं की भव्य प्रतिमायें प्रतिष्ठित की गई थी, जिन्हें देखने वालों का ताँता लगा रहा।
यज्ञ भगवान की साक्षी में लाखों लोगों ने संकल्प दोहराए
हम बदलेंगे-युग बदलेगा
लखनऊ 17 से 30 नवम्बर तक सम्पन्न राष्ट्रीय एकता सम्मेलन देखकर स्थानीय जन समुदाय झूम उठा। जिन्दाबाद मुर्दाबाद के राजनैतिक नारों की अभ्यस्त जनता ने हम बदलेंगे, युग बदलेगा, लड़के लड़की नहीं बिकेंगे, देश की रक्षा कौन करेगा? हम करेंगे, हम करेंगे, जैसे भावना और राष्ट्रीयता प्रधान नारे सुनकर जन समुदाय सड़कों के दोनों ओर सागर की तरह उमड़ पड़ा।
प्रायः एक हजार पीतवस्त्रधारी महिलाओं की मंगल-कलश यात्रा में आगे आगे प्रो. बासुदेव सिंह भू0 पू0 खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री चल रहे थे, उनके पीछे मुसलमान प्रतिनिधि श्री जावेद लखनवी, कैलवरी इवेंजिकल चर्च के पादरी श्री सी.एम. डैनियल, लाजपथ्त नगर चौक गुरुद्वारा के प्रमुख सरदार जोगिन्दर सिंह, गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. एस.सी. राय, डॉ. ओम प्रकाश, मेजर वी.के. खरे, श्री एस.के. त्रिवेदी तथा केन्द्रीय प्रतिनिधि श्री राय चन्द्रवीर सिंह बिजौलिया ने जुलूस का नेतृत्व कर राष्ट्रीय एकता का अद्भुत दृश्य उपस्थित किया।
चार दिन तक सम्पन्न यज्ञ आयोजन में सभी समुदायों के लोग सम्मिलित हुए। यज्ञ साक्षी में बुराइयाँ छोड़ने और सभ्य एवं समुन्नत समाज में योगदान देते रहने का संकल्प लिया।
शिक्षा सचिव श्री जगदीश चन्द्र पंत ने समारोह की अध्यक्षता की। अपने संदेश में उन्होंने इस आयोजन का श्री कबीर, प्राणनाथ, समर्थ रामदास, गुरु नानक तथा मीराबाई जैसी उच्च आत्माओं की तरह समाज को जोड़ने वाला बताया।
ग्राम्य जीवन में नवयुग चेतना
मोहनपुर अडूकी (मथूरा) 14 से 17 नवम्बर। एक छोटे से गाँव में शतकुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन की शानदार सफलता ने यह निर्विवाद सिद्ध कर दिया - हमारी ग्राम्य चेतना शहरी जीवन से कम मुखर नहीं - भावनात्मक दृष्टि से उनसे बहुत आगे है।
दिल्ली आगरा रोड पर बसे इस छोटे से गांव में 100 गाँवों के 15 हजार भोले भाले किसानों ने भाग लिया। राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाने की प्रमा के साथ-साथ गाँव की दुर्दशा ठीक करने, खर्चीली शादियाँ न करने, दहेज न लेने सन्तान की संख्या न बढ़ाने जैसे राष्ट्रीय दायित्वों के निर्वाह के संकल्प लिये। हजारों व्यक्तियों ने एक-एक बुराई छोड़ी और एक-एक नया रचनात्मक कदम उठाने का व्रत लिया।
शोभा यात्रा में प्रायः दो हजार महिलायें सम्मिलित हुई। 551 मंगल-कलश उठाये गये। साँसद श्री मानवेन्द्र सिंह ने आयोजन को असाधारण उपयोगी बताते हुए उसके सूत्र संचालक तथा केन्द्रीय प्रतिनिधियों की हार्दिक सराहना की। इस आयोजन की सफलता के लिए युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि के संचालक, कार्यकर्त्ताओं तथा विद्यार्थियों का परिश्रम, पूर्ण योगदान सभी के द्वारा सराहा गया।
स्वयं सेवकों की सराहनीय सेवा
मेरठ। 14 से 26 नवम्बर को सम्पन्न राष्ट्रीय एकता सम्मेलन तथा शतकुँडी यज्ञायोजन की न केवल व्यवस्था अपितु सुरक्षा जैसे गम्भीर उत्तरदायित्व को भी प्रज्ञा मिशन के स्वयं सेवकों ने सफलता पूर्वक सम्भालकर यह सिद्ध कर दिखाया कि पारस्परिक सौहार्द्र से किस तरह साम्प्रदायिकता को भी जीता जा सकता है। इस आयोजन में भी सभी वर्ग तथा सम्प्रदाय के लोग बड़ी संख्या में सम्मिलित हुये। पुलिस जैसी किसी भी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं पड़ी।
इस आयोजन में नगर क्षेत्र के परिजनों के समान ही चार दिन तक ट्रेक्टर ट्रोलियों में बैठकर बड़ी संख्या में समीपवर्ती गाँवों के लोग भी आये और राष्ट्र के पुनर्निर्माण में रचनात्मक कदम उठाने का संकल्प लिया।
सहभोज में सभी वर्ग के लोगों ने सम्मिलित होकर राष्ट्रीय एकता का भावभरा वातावरण उपस्थित किया।
समुद्र तट पर भव्य शक्ति पीठ
द्वारिका। समुद्र तट पर विनिर्मित गायत्री शक्ति पीठ का प्राण प्रतिष्ठा समारोह नौ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर टाटा कैमिकल्स के चेयरमैन श्री उदबारी सेठ विशेष रूप से उपस्थित हुये। उन्होंने इस मिशन को विश्व कल्याण का आधार स्तम्भ बताया।
गायत्री, सावित्री तथा कुँडलिनी इन तीन प्रतिमाओं की भव्य प्राण प्रतिष्ठा हुई। पूर्णाहुति के समय पर प्रायः पाँच हजार व्यक्ति उपस्थित थे। यह स्थल बहुत ही शान्त और रमणीक है। देव दर्शनार्थियों के आवास आदि का भी प्रबंध है। शक्ति पीठ का बोध काम गायत्री परिवार ट्रस्ट बम्बई के प्रबंधक ट्रस्ट श्री मुकन्द एम॰ शाह की देखरेख में सम्पन्न हुआ है।
साईकिल यात्रा, सद्ज्ञान प्रसार
बेलाई (फतेहपुर) गायत्री परिवार के उत्साही नवयुवक कार्यकर्त्ताओं ने अपनी समीपवर्ती 10 किलोमीटर क्षेत्र की साईकिल यात्रा सम्पन्न की। युगनिर्माण मिशन के कार्यक्रमों के विस्तार की दृष्टि से यह आयोजन अत्यधिक सफल रहा। श्री रामानंद सिंह मुख्य संयोजक थे।
स्थान-स्थान पर आदर्श वाक्य-लेखन, यज्ञायोजनों के माध्यम से नशा, दुर्व्यसन, दहेज, आदि कुरीतियों के उन्मूलन में आशातीत सफलता मिली है। दूरदर्शी विवेकशीलता ही सर्वोपरि धर्म है। इसे प्रबुद्ध व्यक्तियों ने बहुत सराहा है। यदि इस तहर के धर्म की सर्वत्र प्रतिष्ठा हो तो साम्प्रदायिकता के विष को निकाल बाहर फेंका जा सकता है। ऐसी हर किसी की मान्यता है।
ऐतिहासिक आयोजन
भीनमाल (राज0) नगर में पहली बार इतना भव्य और ऐतिहासिक आयोजन 109 कुँडी गायत्री महायज्ञ और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सीमावर्ती जिले के सैकड़ों गाँवों की जनता इस आयोजन को देखने के लिए उमड़ पड़ी।
परम्परागत वेषभूषा में आगन्तुक स्त्री पुरुषों ने इस समूचे क्षेत्र को एक सचल प्रदर्शनी जैसा स्वरूप प्रदान किया। गीत गाते हुये महिलायें और पुरुष अहिर्निश यज्ञशाला की परिक्रमा करते थे, उससे सारा वातावरण भावनाओं में डूबा प्रतीत होता था।
बड़ी संख्या में लोगों ने बुराइयाँ, पर्दा प्रथा, अशिक्षा, बाल विवाह आदि कुरीतियों के निवारण के संकल्प लिये।
108 कुँड - 108 शाखाय
डीसा (गुजरात) शतकुँडी गायत्री महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में यहाँ के कर्मठ प्रज्ञा पुत्रों ने समीपवर्ती क्षेत्रों में 209 अभिनव शाखायें गठित करने और वहाँ भी गायत्री महायज्ञ एवं सम्मेलन करने का निश्चय किया गया।
1 किलोमीटर से भी अधिक लम्बे मंगल कलश जुलूस में महिलायें और पुरुष सामाजिक जीवन में नव चेतना उत्पन्न करने वाले नारे लगा रहे थे जिसे देखने के लिये सारा नगर उमड़ पड़ा। ऐसा लगता था स्वयं स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।
गायत्री शक्ति पीठ डीसा के कार्यकर्त्ताओं की संगठनात्मक क्षमता न केवल गुजरात अपितु सारे देश के लिये एक अनुकरणीय उदाहरण है। उसी के फलस्वरूप धर्म चेतना का इतना व्यापक प्रचार हुआ है। और प्रायः एक लाख लोगों को संदेश पाने का सौभाग्य मिला।