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February 1987

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यौवन रहते, वृद्धावस्था की संभावना का ध्यान रखो। सुविधा के रहते संकट से बचाव करो। जीवित रहते मृत्यु की पीड़ा से बच निकलो।

ईश्वर भक्त-अभक्त का बहीखाता नहीं रखता उसके लिए हर ईमानदार अपना और हर बेईमान शैतान की बिरादरी का है।

ईश्वर को किसी से मनुहार चाहिये न उपहार। चरित्रवान ओर लोक सेवी बन कर ही हम उसे प्रसन्न कर सकते हैं।


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