दो आलसी थे। एक बगीचे में रहते थे। एक दूसरों से सहायता माँगने की ताक में रहते।
एक दिन एक घुड़सवार उधर से निकला। पुकारा-आई जरा ठहरना मेरा एक जरूरी काम कर जाओ।
सवारयका। पास आया और पूछा-क्या काम है? पेड़ पर से गिरा हुआ आम छाती पर पड़ा है इसे मेरे मुँह में निचोड़ दो। इस पर सवार बहुत बिगड़ा और इतने आलसीपन पर नाराज होकर दो लात जमाई।
पास में ही एक और बड़ा आलसी पड़ा था। उसने कहा-भाई साहब दो लातें मेरे बदलें भी लगा दें। कुत्ता मेरा मुँह चाट रहा था। मैं इसे पुकारता रहा कि कुत्ते को भाग जाओ। पर यह आया ही नहीं और कुत्ता तब गया जब चाटने के बाद मेरा मुँह पर मूत भी गया।
अपना काम आप कर सकने वाला भी, छोटे मोटे कार्यों के लिए ईश्वर से याचना करते हैं उनकी सहायता तो दूर उलटे गाली खानी और पिटाई सहनी पड़ती हैं।