पुरानी बात है चीन के दो व्यक्तियों ने आमने-सामने दुकानें खोली। दोनों ही धड़ल्ले से चलने लगीं। ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है और कमाई भी खूब होती।
इतने पर भी दोनों ही दुःखी रहते, उन्हें कितने ही बीमारियों ने घेर लिया और सूख-सूख कर काँटा हो चेल। ला कोई कारगर न हुआ तो मौत के दिन गिनने लगे।
समझदारों ने सलाह दी कि वे कन्फ्यूशियस के पास परामर्श के लिए जायँ। कई बार दार्शनिक चिकित्सकों से अच्छा इलाज कर देते थे।
दोनों की अन्तर्व्यथा कन्फ्यूशियस ने सूनी। दोनों ईर्ष्या के मरीज थे। सामने वाले की बढ़ोत्तरी सहन न कर पाते और मन ही मन कुढ़ते रहते। यही था उनकी बीमारियों का मूल कारण।
कन्फ्यूशियस ने इलाज बताया वे दुकानों के काउन्टर बदल लें। मालिकी ईश्वर की समझें ओर उनके गुमास्ते की तरह काम करते रहें।
इस उपाय से ईर्ष्या से पिण्ड छूटा और कुछ ही समय में दोनोँ पूरी तरह निरोग हो गए।