रचनात्मक कार्यक्रमों की ओर बढ़ते कदम - राष्ट्रीय एकता सम्मेलनों के बाद की गति-प्रगति!

August 1987

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जून में सम्पन्न राष्ट्रीय-एकता सम्मेलनों की शृंखला के बाद प्रज्ञा संस्थान रचनात्मक कार्यक्रमों में जुट पड़े हैं। कितने प्रेरक है? वह कदम प्रस्तुत हैं, उसके कुछ प्रेरक प्रसंग हैं-

आदर्श विवाह सम्पन्न

औरेया (इटावा) राष्ट्रीय-एकता सम्मेलन के पुनीत अवसर पर (1) चि. रजनी गुप्ता का चि. अरुण कुमार गुप्ता (2) चि. रमाकान्ती प्रजापति का चि. शिवनारायण प्रजापति (3) चि. संध्या पोरवाल का चि. अवनीश कुमार गुप्ता से-तीन दहेज और धूम-धाम रहित आदर्श-विवाह सम्पन्न हुये। एक-एक मंत्र और कर्मकाण्ड की भाव परक व्याख्या से उपस्थित जन समुदाय भाव विभोर हो उठा। सभी ने अनुभव किया कि विवाह के उद्देश्य इस तरह के आध्यात्मिक वातावरण में सम्पन्न संस्कार से ही सार्थक हो सकते हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने वर-वधुओं को आशीर्वाद दिया और अपने बच्चों के विवाह भी इसी तरह सम्पन्न करने का संकल्प लिया।

प्रतिज्ञा अभियान

गोसाई गंज। गायत्री परिवार शाखा के कर्मठ कार्यकर्त्ताओं में से सर्व श्री रघुनंदन शर्मा, दिवाकर नाथ, गोप बन्धु बागीश तथा प्रफुल्ल कुमार दास ने इस वर्ष 108 आदर्श विवाहों के प्रतिज्ञा पत्र भरवाने का संकल्प लिया हैं। अब तक 31 संकल्प पत्र भरे जा चुके हैं।

निर्धारित योजना के अनुसार यह लोग उन घरों में जाते हैं जिनके यहाँ विवाह योग्य लड़के या लड़कियाँ होती हैं। उन्हें विवाहों के धार्मिक उद्देश्य और खर्चीली शादियों के दुष्परिणामों पर प्रकाश डालते हैं। उनकी परिस्थितियों पर चर्चा करके इस बात के लिये सहमत करते हैं कि वे दहेज रहित आदर्श विवाह ही करें। इस संकल्प अभियान की व्यापक प्रतिक्रिया उभर रही है।

मुँडकेरिया के रामा तेली

देवगढ़। राजस्थान चित्तौड़ का सर्वाधिक साक्षर गाँव जहाँ के युवक आज बड़ी संख्या में प्रशासनिक सेवाओं में हैं- मुँडकेरिया गाँव में एक भी अशिक्षित व्यक्ति नहीं हैं। इसका श्रेय वहाँ के एक वयोवृद्ध रामा तेली को है। इस घटना ने स्थानीय गायत्री परिवार के सदस्य श्री टीकाराम धुनिया और श्री चन्द्र प्रसाद भौमिक को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने भी अपने गाँव को साक्षर बनाने का संकल्प तो लिया। उन्होंने घर-घर जाकर निरक्षरों को ज्ञान का महत्व समझाया तथा अपने ही कमरे में प्रौढ़ पाठशाला प्रारम्भ कर दी। इस समय प्रातः 54 प्रौढ़ उसमें अक्षर ज्ञान और विद्याध्ययन कर रहे हैं। पाठशाला प्रातःकाल सायंकाल दो बार चलती है। विद्यार्थी अपनी-अपनी सुविधा के समय आते हैं, पूरी रुचि से पढ़ते हैं।

साक्षरता संगोष्ठी सम्पन्न

भदोही (विक्रमपुर) गायत्री परिवार के तत्त्वावधान में स्थानीय शिक्षितों की संगोष्ठी आमंत्रित की गई, उसमें साक्षरता विस्तार पर व्यापक चर्चा की गई।

वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री राजकिशोर सुरीर ने इस क्षेत्र में गायत्री परिवार द्वारा उठाये गये आन्दोलन की भूरि-भूरि सराहना की तथा प्रत्येक शिक्षित से न्यूनतम पाँच व्यक्तियों को साक्षर बनाने का आग्रह किया। संगोष्ठी में आमंत्रित सभी ने न्यूनतम एक घंटे से लेकर 4 घंटे तक का समयदान इस पुनीत प्रयोजन के लिये देने का प्रतिज्ञा पत्र भरा। प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम का विधिवत् शुभारम्भ गुरुपूर्णिमा से किया जा रहा है।

दूरदर्शन पर सद्वाक्य प्रदर्शन

अहमदाबाद (गुज.) का दूरदर्शन केन्द्र युग निर्माण के सद्वाक्य अपने कार्यक्रमों में नियमित रूप से प्रदर्शित कर रहा है, इससे थोड़े समय में ही लाखों लोगों का नैतिक बौद्धिक शिक्षण होता है।

दिल्ली दूरदर्शन पर भी सद्वाक्य प्रदर्शन के प्रयास पूर्णता पर है। दिल्ली दूरदर्शन के सचिव महोदय ने कुछ सद्वाक्यों को बहुत अधिक पसन्द किया है और अब वह व्यवस्था करने जा रहे हैं, जिससे उनका दिल्ली से भी प्रदर्शन प्रारम्भ हो जायेगा। उससे यह क्रम सारे देश भर में चल पड़ने की संभावना सुनिश्चित हो चली है।

सम्मेलन शृंखला-अभिनव जागरण

हरिद्वार। शान्ति कुँज के शक्ति पीठों के सम्मेलनों का क्रम अभूतपूर्व उत्साह के साथ प्रारम्भ हुआ। बिहार सौराष्ट्र और मध्य गुजरात के तीन सम्मेलन सफलता पूर्वक सम्पन्न हो चुके हैं। भारी संख्या में परिजन सम्मिलित हुये। एक और राष्ट्रीय-एकता सम्मेलनों के निर्धारण की धूम, दूसरी ओर नये उभरे दो महा संकल्प-आदर्श विवाहों के प्रचलन और साक्षरता अभियान के लिये सदस्यों में भारी उत्साह देखा गया। इस दृष्टि से इन सम्मेलनों को अभिनव जागरण की संज्ञा देना सर्वथा सार्थक है।

इसी बीच महापर्व गुरुपूर्णिमा भी सम्पन्न हुआ। जिसमें हजारों की संख्या में अन्य परिजन भी सम्मिलित हुये और इस तरह क्षेत्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय सम्मेलन का अद्भुत दृश्य उमड़ पड़ा।

जहाँ दीवारें बोलती हैं

मुन्दकी। कस्बे की पैठ दिलाराम को जाने वाली सड़क के किनारे की शायद ही कोई दीवाल ऐसी बची हो जो बोलती न हो। यह आवश्यक नहीं कि हर कोई मुँह से ही बोले। दीवारों में लिखे सद्वाक्य उधर से निकलने वाला प्रत्येक राहगीर पढ़ता है-हुआ न यह दीवालों का बोलना-शिक्षा देना और लोगों को आदर्शों के प्रति सहमत करना।

यह कार्य शांति कुँज से 9 दिवसीय गायत्री पुरश्चरण सम्पन्न कर लौटे श्री अरविन्द उपाध्याय और उनके साथी श्री जनार्दन प्रसाद सिंह ने प्रायश्चित विधान के अंतर्गत किये गये हेमाद्रि संकल्प की पूर्ति स्वरूप किया गया। उनके इस कार्य की सारे कस्बे में सराहना हो रही है। इसे नई पीढ़ी के लिये एक भाव-भरा निःशुल्क शिक्षण माना जा रहा है।

झोला पुस्तकालयों की धूल झड़ी

मरोही-बानपुर। में इस समय लगभग एक दर्जन झोला पुस्तकालय चलने लगे और घर-घर जाकर सद्ज्ञान वितरण करने लगे हैं।

इन झोला पुस्तकालयों के संकल्प तो प्रायः पिछले दो वर्ष से होते आये हैं। प्रज्ञा परिजन झोले और साहित्य लाये तो पर उनमें सिवाय धूल जमने के और कुछ नहीं हुआ, पर विगत माह अप्रैल मई में साधना शिविर सम्पन्न कर लौटे साहू दम्पत्ति ने दो माह नियमित रूप से झोला पुस्तकालय चलाया जो सम्मान अर्जित किया उसने पूर्व संकल्प कर्त्ताओं को भी झोलों की धूल झाड़ने को विवश किया। एक साथ बड़ी संख्या में झोला पुस्तकालय चल पड़ने से यहाँ का वातावरण प्रज्ञामय हो उठा है। घर-घर यज्ञ, जन्म दिन आदि संस्कारों का प्रचलन उसी का चमत्कार माना जा रहा है।

विराट् आयोजन की व्यापक तैयारी

चन्द्रनगर। अगली शृंखला के शतकुण्डी गायत्री महायज्ञ तथा राष्ट्रीय-एकता सम्मेलन को विराट् रूप देने की तैयारियाँ व्यापक स्तर पर प्रारम्भ की गई है। इसके लिये प्रशासनिक सहयोग और स्वीकृति प्राप्त करने से लेकर जन संपर्क तक के सभी कार्यक्रमों की रूप-रेखा तैयार कर ली गई है।

यह तैयारियाँ शान्ति कुँज में कार्यक्रम की तिथियों के निर्धारण के बाद प्रारम्भ की गई। सभी संकल्पकर्त्ताओं को शासकीय सहयोग, कलश यात्रा, भोजन व्यवस्था, यज्ञ संचालन, आमंत्रण आतिथ्य, समिधा सामग्री, साहित्य प्रचार आदि की अलग-अलग जिम्मेदारियाँ सौंप दी गई है। कार्यकारिणी, यज्ञ समिति और टोलियों का निर्धारण कर देने से सभी कार्य समान गति और उत्साह के साथ प्रारम्भ हो गये हैं। अभूतपूर्व आयोजन की सभी कार्य समान गति और उत्साह के साथ प्रारम्भ हो गये हैं। अभूतपूर्व आयोजन की सभी तैयारियाँ संकल्पबद्ध ढंग से प्रारम्भ होने से सफलता भी सुनिश्चित समझी जा रही है।

कितने पावन, कितने प्रेरक जन्म दिन संस्कार

पट्टीसराय। प्रायः प्रतिदिन किसी न किसी घर जन्म दिन संस्कार सम्पन्न करने का अभियान व्यापक होता जा रहा है। अकेले जून माह में 21 जन्म-दिन संस्कार सम्पन्न हुये। जन्म दिन संस्कार सम्पन्न कराने वालों में प्रसिद्ध अधिवक्ता श्री सत्यनारायण जी दवे भी हैं जिनके घर बार एसोसिएशन के प्रायः एक सौ सदस्य सम्मिलित हुये और सभी ने जन्म दिन संस्कार मानने की युग निर्माण परम्परा को अत्यन्त पावन और प्रेरक बताया।

इसके प्रभाव का इसी से अनुपात लगाया जा सकता है कि जहाँ एक संस्कार सम्पन्न होता है, वहीं कई अन्य संस्कार स्वतः उपज पड़ते हैं।

स्थानीय प्रज्ञापीठ ने उसके लिये छोटी यज्ञशाला उसकी सजावट सामग्री बनाई और पूजा उपकरणों के तथा प्रज्ञासैट व लाउडस्पीकर का भी प्रबंध किया है, जिससे प्रायः दो सौ व्यक्तियों तक का एक सुन्दर सम्मेलन हो जाता है। ढपलियों पर गीत सुनाने के लिये एक टोली भी गठित की।


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