सेठ के घर में आग लगी (Kahani)

August 1987

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एक सेठ के घर में आग लगी। तुरन्त पता चल जाने पर उसने पड़ौसियों को बुलाकर सारा कीमती सामान बाहर निकाल लिया।

पत्नी पड़ोस में गई थी। लौटी तो सेठ ने सारा कीमती सामान सुरक्षित निकाल लेने का समाचार सुनाया और संतोष की साँस ली।

सेठानी ने पूछा-मेरे इकलौते लड़के का क्या हुआ? जिसे भीतर के कमरे में सोता छोड़ गई थी। पता लगाया तो वह जलकर मर चुका था। दौलत उसी के लिए तो जमा की गई थी। लड़का मरने पर वह भी निरर्थक हो गई।

हम भी आत्मा को भूलकर उसे दुष्कर्मों में जल जाने देते हैं। दौलत भर के लिए आतुर रहते हैं।


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