इस विश्व ब्रह्माण्ड में अनगिनत प्रकार के जीवधारी हैं जो मनुष्य के साथ ही बने रहते एवं परस्परावलम्बन के सिद्धान्त पर अपना अस्तित्व बनाये रखते हैं। इकॉलाजी के नियमानुसार चित्र-विचित्र प्रकार के जीव-जन्तुओं के इस संसार में जो हमें दृष्टिगोचर होता है, प्रत्येक की अपनी कुछ न कुछ भूमिका है। यहाँ कुछ भी अकारण नहीं है।
गुबरैला एक घिनौना जीव माना जाता है। गोबर में ही आहार ढूँढ़ते रहने के कारण इसे गुबरैला नाम दिया गया है। किन्तु इसका अस्तित्व मानव के लिये एक वरदान है। हेय दृष्टि से देखे जाने से इस तुच्छ जीव की स्मृति में कैलीफोर्निया के कीट विशेषज्ञों द्वारा दो टन भार का एक कीर्ति स्तम्भ पिछले दिनों बनाया गया है। इसका उद्देश्य था, जन सामान्य को हमारे लिये हितकारी इस जीव की जानकारी देना, महत्त्व समझाना ताकि हम इसकी उपेक्षा न करे। अमेरिकावासियों के लिये यह छोटा सा अकिंचन प्राणी इतना महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ कि एक बार इसकी प्रजाति नष्ट हो जाने पर इसे आस्ट्रिया से आयात किया गया। इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण था।
कैलीफोर्निया प्रान्त, जो उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग में राँकी माउन्टेन्स शृंखला से लगा हुआ है, में ‘क्लैमथ’ नामक एक विषैली घास का एकछत्र साम्राज्य था। प्रारम्भ में हरीतिमा लिये अंततः विषैली सिद्ध होने वाली यह खरपतवार इस प्रान्त के लगभग चार हजार वर्ग मील क्षेत्र में फैली हुई थी। इसकी बढ़ने की गति बड़ी तीव्र थी एवं किसी के लिये उपयोगी न होने के कारण यह निर्बाध फलती-फूलती रही। एक दिन ऐसा आया कि किसानों, जिनके पशु फार्म वादियों में बसे थे, के लिये यह एक मुसीबत बन गयी। प्रान्तीय स्तर पर इसे नष्ट करने के सारे प्रयास असफल रहे। अंततः एक कीट विज्ञानी ने इसका एक समाधान अनायास ही निकाला। कहीं गलती से विचरण करने आए एक गुबरैले को उन्होंने तेजी से इस खरपतवार को खाते, नष्ट करते पाया। कुछ प्रयास से उन्होंने उसे पकड़ लिया एवं प्रयोगशाला में उसे व खरपतवार के नमूने ले गए। देखा यह गया कि कुछ ही मिनटों में उस विषैली घास को इस कीड़े ने नष्ट कर उदरस्थ कर डाला और जीव−जंतु तो इससे दूर भागते थे, पर इस गुबरीले कीड़े के लिये तो यह एक स्वादिष्ट आहार था। इसकी तलाश जारी रही। पाया गया कि उस प्रजाति का गुबरीला आस्ट्रिया में बहुतायत से पाया जाता है। एक एजेंसी को इसकी भारी मात्रा में आयात करने का ठेका दे दिया गया एवं जैसे ही इन्हें मुक्त किया गया देखते ही देखते उस विषैली घास को उन्होंने नष्ट कर दिया। वे मूलतः पराग कणों व जड़ों पर हमला करते थे, जिससे उसकी वंशवृद्धि की संभावनाएँ रुक गयीं एवं एक मुसीबत से पूरे समुदाय को मुक्ति मिली।
उत्तरी कैलीफोर्निया के लास वेगास मेडफोर्ड तक के इस क्षेत्र में आज अनगिनत पशु फार्म हैं, औद्योगिक कारखाने हैं एवं वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र हैं। जबकि एक समय यहाँ चारों और यह सर्वनाशी विषैली वनस्पति अपनी जड़ जमाए बैठी थी। अब इसके समूल नष्ट हो जाने पर एक हजार पशु फार्म स्वामियों ने चैन की साँस ली है। वर्ष 1984 के जुलाई माह में फोर्टस्ट्रीवार नामक शहर में बीस हजार डॉलर मूल्य का यह कीर्ति स्तम्भ सबके सहयोग से विनिर्मित किया गया।
आस्ट्रिया, इंग्लैण्ड, फ्राँस में भी किसी समय इस क्लैमथ नामक विषैली खरपतवार का ही साम्राज्य था। वहाँ भी प्रकृति की व्यवस्था कुछ ऐसी बनी कि आस्ट्रेलिया से आये एक मालवाहक जहाज के साथ कुछ गुबरीले भी समुद्र पार कर इतनी दूर की यात्रा सम्पन्न कर यूरोप आ गये। उनने देखते-देखते अपने खाद्यान्न को ढूँढ़ कर नष्ट करना चालू कर दिया। इस तरह प्रकृति संतुलन की इस विलक्षण व्यवस्था के कारण यूरोपवासियों ने मुक्ति की साँस ली।
जिस अनावश्यक हानिकारक घास को समाप्त करने हेतु बहुत बड़ी राशि कीटनाशक दवाओं को छिड़कने के रूप में खर्च करनी पड़ती एवं बदले में मृदा-प्रदूषण हाथ लगता, उसे उपयोगी कीड़ों ने देखते नष्ट कर डाला। ऐसे शुभचिंतकों की रक्षा करना, पर्यावरण संतुलन हेतु समष्टि का हित ध्यान में रखना मनुष्य का कर्त्तव्य है, उसे निभाया जाना चाहिए।