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June 1985

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विषमावस्थिते दैवे पौरुषेंऽफलतां गते। विषादयन्ति नात्मानं सन्त्वापाश्रयिणों नराः॥

दुर्दैव आ पड़ने पर और विफल-प्रयत्न होने पर भी धीर पुरुष उत्साह हीन होकर दुःखी नहीं होते।


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