विषमावस्थिते दैवे पौरुषेंऽफलतां गते। विषादयन्ति नात्मानं सन्त्वापाश्रयिणों नराः॥
दुर्दैव आ पड़ने पर और विफल-प्रयत्न होने पर भी धीर पुरुष उत्साह हीन होकर दुःखी नहीं होते।