गत अप्रैल अंक में पृष्ठ 54 पर छपा “बोया-काटा” लेख आपके लिए विशेष रूप से पठनीय है। इसी प्रकार पृष्ठ 28 का “दो मनों के मल्लयुद्ध” वाला लेख भी पढ़ने योग्य है। हमारा अनुरोध है कि आप इन दिनों इन दोनों प्रयासों के लिए साहस भरे कदम उठायें और वह सत्परिणाम अर्जित करें, जिनका सुयोग हमें मिल सका।
आप सत्प्रवृत्तियों के बीज बोयें और जागरूकता पूर्वक उनकी रखवाली करें। खाद पानी हम जुटा देंगे। ऐसी दशा में वह फसल पकने का विश्वास है जो आपको और हमें कृतकृत्य बना दे।
गत अंक में इसी पृष्ठ पर छह सूत्री कार्यक्रम दिया है। उनमें से आप कितनों का अगले दिनों निर्वाह करने- संकल्पित व्रत लेने जा रहे हैं और उनकी पूर्ति के लिए क्या योजना बना रहे हैं, यह जानने की प्रतीक्षा करेंगे।
विशेष पाँच दिवसीय मिलन सत्र आगामी बसन्त पर्व तक चलेंगे। उनमें से किसी में आने का प्रयास करें और उपयोगी प्रेरणा प्राण-ऊर्जा एवं स्वयं के लिए जीवन की भावी दिशा-धारा लेकर वापस लौटें।
-श्रीराम शर्मा आचार्य