विचित्र एवं अद्भुत वनस्पति जगत

June 1985

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प्रकृति जगत अनेकों ऐसी विचित्रताओं से भरा पड़ा है जिनका समाधान सामान्य अन्वेषण बुद्धि नहीं लगा पाती। ऐसे ही अनेकों उदाहरणों में से कुछ इस प्रकार हैं।

बाई डाँगों अफ्रीका के गाँव मवाई तथा फाँस के ‘केन्ड्री’ स्थान में एक प्रकार का वृक्ष पाया जाता है जो वनस्पति विज्ञान के नियमों का उल्लंघन कर वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है। इस वृक्ष की जड़ें कील या चूलनुमा होती हैं। जब कभी तूफान इस पेड़ के पास पहुँचता है तो वृक्ष चूलनुमा जड़ के सहारे लट्टू जैसे चक्कर काटने लगता है जबकि अन्य जाति के हजारों पेड़-पौधे धराशायी हो जाते हैं। जितनी देर तूफान रहता है- वृक्ष नाचता रहता है, तूफान बन्द होने पर उसका नाचना बन्द और उसकी अगली विकास यात्रा प्रारम्भ हो जाती है।

गर्म प्रदेशों में पाया जाने वाला वृक्ष ‘समानी सनम’ वनस्पति जगत में अपने ढंग का अनोखा है। वह रात्रि में बादल की तरह बरसता है। उस क्षेत्र के निवासी उसी से अपनी जल आवश्यकता पूरी करते हैं। यह पेड़ दिन भर अपने डण्ठलों से हवा की नमी सोखता रहता है और अपना भण्डार भर लेता है। जैसे ही मौसम की गर्मी शान्त होती है वह उस भण्डार को खाली करके उस क्षेत्र के प्राणियों की प्यास बुझाता है। सभी रात्रि की प्रतीक्षा में उसके इर्द-गिर्द जमा रहते हैं।

हिन्द महासागर के रियूनियन द्वीप में कैक्टस जाति का एक विचित्र पौधा पाया जाता है। वह अपने जीवन के अन्तिम दिनों प्रायः पचास वर्ष बाद एक बार ही फूलता है। इसके बाद उसके जीवन का अन्त हो जाता है।

इसी प्रकार सेग्येरो कैक्टस की रबर की तरह व सकने वाली चमड़ी केवल एक बार की तूफानी वर्षा में दो सौ गैलन पानी सोख सकती है। इसकी छिछली जड़ों का अव्यवस्थित फैलाव सौ फुट तक के क्षेत्र में होता है।

महाराष्ट्र के जल गाँव-अजिष्ठा मार्ग पर पहुर नामक एक छोटा-सा गाँव है। वहाँ से शेंदुर्णी जाने वाली कच्ची सड़क पर 3 मील दूर पर सोय गाँव अवस्थित है। इस गाँव में वाणी सिद्धि का एक अद्भुत चमत्कार नीम का एक पेड़ है। जिसकी प्रत्येक डाल के पत्ते कड़ुवे हैं किन्तु सिर्फ एक डाल ऐसी है जिसके पत्तों का स्वाद अत्यन्त मीठा लगता है। कहते हैं कड़ोवा महाराज नाम के एक साधु ने ईश्वर के अस्तित्व और उसकी शक्ति का परिचय देने के लिए ऐसा किया था।

अभी-अभी पिछले दिनों विश्व के सबसे बड़े बरगद वृक्ष की जानकारी भारत वर्ष के आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले में मिली है। कादिरी ताल्लुक में विद्यमान यह वृक्ष 5 एकड़ क्षेत्रों में फैला हुआ है। इसे एक पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किये जाने की योजना है।

अमेरिका के कैलीफोर्निया प्रांत के घने वनों में रेड़वुड़ का वृक्ष है जिसने 4 हजार बसन्त देखे हैं। वह अब भी फल फूल रहा है। पुराने जमाने में इसकी डालों का प्रयोग तीर कमान बनाने में किया जाता था।

विश्व का सबसे वृक्ष देवदार भारत के टिहरी में है यह 700 साल से जिंदा है। इसी प्रकार तमिलनाडु में 500 वर्ष पुराने दो सागौन के पेड़ हैं। पश्चिमी बंगाल में मालदा में 36 मीटर ऊंचाई का एक आम का पेड़ तथा महाराष्ट्र के चांदा में 43 मीटर ऊंचा सागौन का पेड़ है जो सबसे अधिक किसी वृक्ष की ऊँचाई है।

प्रकृति के नियमों में अपवाद के रूप में पाए जाने वाले ये विचित्र विलक्षण वनस्पति जगत के उदाहरण बताते हैं कि सुनियोजित विधि-व्यवस्था में सृजेता अपना बराबर हस्तक्षेप रखता है। हँसी मजाक भी करता है वह इन विचित्रताओं के माध्यम से अपनी नियामक सत्ता का परिचय हर क्षण मनुष्य को दिलाता रहता है।


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