डा. सेमुअल जानसन का अँग्रेजी शब्द कोश प्रख्यात है। उसे उन्होंने भारी परिश्रम से वर्षों में लिखा था। साहित्य जगत में उन्होंने उच्चस्तरीय प्रतिष्ठा प्राप्त की।
कोष में एक शब्द की परिभाषा एक महिला को खटकी। अधिक विचार करने पर उसने उसे वस्तुतः गलत पाया। अपनी बात जानसन तक पहुँचाने में विवाद खड़ा होने का भय था सो उसने उनसे मिलना ही उचित समझा। समय माँगकर वह उनसे मिलने जा भी पहुँची।
जानसन ने उसकी बात ध्यान पूर्वक सुनी और भूल बताने के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। तत्काल सुधार देने का आश्वासन देते हुए उनने इतना ही कहा- निभ्रान्त तो केवल ईश्वर हैं। मनुष्य से जान-अनजान में जो गलतियाँ होती हैं, उन्हें बताया और सुधारा जाना ही उचित है।