तुलसी सन्त सुअम्ब तक, फूल फलहिं परहेत। इतते ये पाहन हनें, उतते वे फल देत॥
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागें पायँ। बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो मिलाय॥