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June 1985

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तुलसी सन्त सुअम्ब तक, फूल फलहिं परहेत। इतते ये पाहन हनें, उतते वे फल देत॥

गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागें पायँ। बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो मिलाय॥


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