बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर। बैठन को छाया नहीं, फल लागें अति दूर॥
तन को जोगी सब करें, मन को करै न कोय। सब सिधि सहजै पाइये, जो मन जोगी होय॥
या दुनियाँ में आय के, छोड़ देव तू ऐंठ। लेना है सो ले चलो, नहिं उठी जात है पैंठ॥