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June 1985

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बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर। बैठन को छाया नहीं, फल लागें अति दूर॥

तन को जोगी सब करें, मन को करै न कोय। सब सिधि सहजै पाइये, जो मन जोगी होय॥

या दुनियाँ में आय के, छोड़ देव तू ऐंठ। लेना है सो ले चलो, नहिं उठी जात है पैंठ॥


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