काया के घट-घट में छिपी विलक्षण सामर्थ्य

June 1985

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

देखने में एक जैसे लगने वाले मनुष्यों में से कुछ की प्रतिभा तथा विलक्षणता ऐसी होती है, जो देखते ही बनती है। इसी प्रकार उसकी सामान्य गतिविधियों के पीछे कुछ ऐसे तथ्य छिपे होते हैं, जिन्हें देख-सुनकर आश्चर्यचकित रह जाना पड़ता है।

विलक्षण प्रतिभाओं के अनेकों उदाहरण सुनने को मिलते हैं। इनके पीछे जेनेटीक्स अथवा अचेतन की कौन-सी अविज्ञात शक्ति काम करती है, यह तो ज्ञात न हो सका, पर ये तथ्य ऐसे अविज्ञात का रहस्योद्घाटन करते हैं जिस पर समग्र शोध अभी जारी है। जीती जागती कम्प्यूटर मानी जाने वाली गणितज्ञ शकुन्तला की तरह कर्नाटक के विजग ग्राम के 6 वर्षीय अशोक नामक बालक ने भी ऐसा ही तहलका मचाया है। वह गणित के प्रश्नों को सेकेंडों में हल कर देता है। एक भाषा का ज्ञान ही मनुष्य को दो दशक लगा देता है, किन्तु म्यूनिख के प्राध्यापक फ्रेंच एक्सादर रिख्टर सारे विश्व की 77 भाषाओं में बातचीत करने एवं सभी में महारत तक रखने का दावा करते हैं।

प्रतिभा, जिम्मेदारी और ईमानदारी रूपी व्यक्ति के त्रिविधि गुणों की आवश्यकता पूरी करने वाला एकमात्र व्यक्ति अमेरिकी काँग्रेस के सदस्यों को श्वाइन्जर कालफैक्स की प्रतीत हुआ। उन दिनों महत्वपूर्ण पदों में से कोई भी व्यक्ति किसी एक को ही सम्भाल सकता था। पर सदस्यों ने सर्वसम्मति से दो सर्वोच्च पदों पर बने रहने के लिए न केवल आग्रह किया वरन् इसके लिए विशेष नियम भी पारित किए। श्री कालफैक्स यूनाइटेड स्टेट्स के सन् 1865 में उपराष्ट्रपति भी थे। उनकी प्रत्युत्पन्नमति एवं विलक्षण स्मरण शक्ति के कारण विशेष प्रस्ताव द्वारा उनसे हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिब्स के स्पीकर का पद सम्भालने को कहा गया। दोनों पद वर्षों उन्होंने बखूबी निभाये।

किसी एक व्यक्ति ने एक ही समय में तीन विभिन्न फैकल्टीज के अधिष्ठाता, व्याख्याता की भूमिका तीन अलग-अलग विश्वविद्यालयों में निभाई हो, इसके उदाहरण हैं- अमेरिका के डा. पाल. ए. चेडवॉर्न। अपने विषयों में निष्णात होने के कारण उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गयी। प्रोफेसरों की कमी नहीं थी, पर उनके ज्ञान की प्रगाढ़ता और पढ़ाने की शैली को देखते हुए हर विश्वविद्यालय उनसे अपने यहाँ काम करने का आग्रह करता था। अन्ततः उन्होंने विलियम्स कॉलेज, बाडोइन कॉलेज एवं मैंने मेडिकल कॉलेज में क्रमशः वनस्पति विज्ञान, इंजीनियरिंग एवं चिकित्सा विज्ञान की सर्वोच्च कक्षाएं पढ़ाते रहने की जिम्मेदारी हाथों ली एवं वर्षों बखूबी निभाई।

स्वामी विवेकानन्द पुस्तक पर हाथ रखकर मात्र पन्ने पलटकर उसे शब्दशः दुहरा देते थे। एक बार उन्हें एक विवाद में गवाह की भूमिका निभानी पड़ी। अपरिचित दक्षिणी भाषा में हुए एक वार्त्तालाप का साक्षी स्वामी जी को एक प्रतिवादी ने अपने समर्थन में बनाया। उस भाषा को न जानते हुए भी, वादी-प्रतिवादी में हुए आधे घण्टे के वार्त्तालाप को शब्दशः उसी भाषा में उन्होंने न्यायाधीश के समक्ष दुहरा दिया। इसी गवाही के बदौलत एक निर्दोष व्यक्ति की जान बच गयी।

वे तो मात्र कुछ प्रसंग हैं, उस अपरिमित मानवी सत्ता के, जिसके एक-एक घटक में प्रचुर सामर्थ्य छिपी पड़ी है। साठ साल तक की औसत आयु जीने वाला मनुष्य, जो लगभग 35 टन खाद्य सामग्री इस अवधि में उदरस्थ कर डालता है, यदि समय की महत्ता समझकर एक-एक पल का सदुपयोग कर सके तो वह भी इस सामर्थ्य को हस्तगत कर सकता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118