कन्हैयालाल माणिकलाल मुँशी (kahani)

June 1985

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

कन्हैयालाल माणिकलाल मुँशी जिन दिनों बीजापुर जेल में थे, बड़ी यातनापूर्ण मानसिक स्थिति से गुजर रहे थे। उन्हें 5 वर्ष की सजा मिली थी, एवं उसमें छूट की कोई सम्भावना नहीं थी उन्होंने एक लेख में लिखा कि एक मृतात्मा ने, जिसे स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने के कारण उसी जेल में 1857 के दिनों फाँसी लगी थी- उन्हें साकार रूप में आकर कई बार कहा- “तुम शीघ्र ही जेल से मुक्त हो जाओगे पर घर की हालत ठीक होने पर व तुम्हारा मानसिक संतुलन बनने पर फिर 1 वर्ष के लिए जेल जाओगे।” चार-पाँच दिन ऐसा चला व फिर वैसा ही हुआ जैसा उसने कहा था। नमक सत्याग्रह में वे फिर गिरफ्तार हुए एवं एक वर्ष बाद छूटकर फिर आन्दोलन में शामिल हो गए। इस घटना से उनका सूक्ष्म जगत व उसके अस्तित्व पर दृढ़ विश्वास बैठ गया। उनका कथन था कि लोकमान्य तिलक की आत्मा अक्सर उन्हें प्रेरणा देने आती थी व कहती थी कि मातृभूमि के लिए संघर्ष करने वालों को अदृश्य जगत में विद्यमान आत्माएं सतत् सहयोग देती रहेंगी।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles