इस वर्ष का बसन्त पर्व 26 जनवरी को है। युग निर्माण मिशन के लिए यह सर्वोपरि पर्व है। कल्पवृक्ष की तरह मिशन अत्यधिक सुविस्तृत दीखता है। उसका बीजारोपण बसन्त के दिन ही हुआ था। उसके सूत्र-संचालन द्वारा 24 वर्षों के गायत्री महापुरश्चरण का संकल्प उनके महान मार्गदर्शक ने 60 वर्ष पूर्व इसी दिन कराया था। इसके उपरान्त एक से एक बढ़कर लोक-मंगल कार्यों का शुभारम्भ इसी मुहूर्त में होता रहा। गायत्री तपोभूमि, युग निर्माण योजना की इमारतें मथुरा में बना और शान्तिकुँज गायत्री तीर्थ तथा ब्रह्मवर्चस् शोध संस्थान का शिलान्यास भी इसी दिन हुआ। आर्य साहित्य जन-जन को उपलब्ध कराने का गोवर्धन उठाने जैसा भारी कार्य इसी दिन से आरम्भ हुआ और समयानुसार पूरा होकर रहा। एक व्यक्ति द्वारा चारों वेद, 18 पुराण, छहों दर्शन, 108 उपनिषद्, 24 स्मृतियाँ आदि आर्ष ग्रन्थों का प्रस्तुतीकरण किया गया हो ऐसा या इसके समतुल्य दूसरा उदाहरण संसार में नहीं है। अखण्ड-ज्योति के डेढ़ लाख छपने का अपना कीर्तिमान है। सस्ते फोल्डर साहित्य ने ईसाई मिशन के समतुल्य उदाहरण प्रस्तुत किया है।
2400 गायत्री शक्ति पीठों का शानदार निर्माण 24000 स्वाध्याय मण्डल प्रज्ञा संस्थानों की स्थापना 24 लाख परिजनों के परिवार का गठन ऐसा काम है जिसकी दूसरी उपमा भारत में हिन्दू धर्म में दूसरी नहीं है। दस पैसा और एक घण्टा श्रम के सदस्यता शुल्क पर प्रज्ञा अभियान के अनेकानेक रचनात्मक और सुधारात्मक कार्य किसी ने कभी चलाये हों यह भी एक चकित करने वाली बात है।
परिजन मिशन की गतिविधियों को जानते हैं। इसलिए उनका विस्तृत स्मरण दिलाने की आवश्यकता नहीं। हम सब अपने इस महान पर्व को हर वर्ष परिपूर्ण श्रद्धा के साथ मनाते हैं और योजना के प्रति भावभरी श्रद्धांजलियां प्रस्तुत करते हैं। छोटे या बड़े रूप में सभी जगह परिजनों द्वारा इस दिन आयोजन मनाये जाते हैं। प्रातःकाल सामूहिक जप, हवन। सायंकाल दीपदान, संगीत, प्रवचन। इसके साथ-साथ मिशन की अब तक की कार्यपद्धति एवं सफलता तथा भविष्य में जो करना है उसका स्वरूप उपस्थित लोगों को समझाने का प्रयास होता है। मिशन द्वारा अब तक जो बन पड़ा है उसे एक शब्द में अद्वितीय एवं अनुपम कहा जा सकता है। विज्ञान बाजी की अपनी नीति न होने के कारण ही कर्तृत्व का परिचय अपने लोगों तक की जानकारी तक सीमित रहा उसे अन्यान्यों को भी बताने की आवश्यकता है। यह कार्य बसन्त आयोजनों द्वारा ही सम्पन्न होता रहा है। अखण्ड-ज्योति के युग-निर्माण योजना के नये सदस्य बनाने, पुरानों से चन्दा वसूल करने का कार्य भी ऐसा है जो मिशन का कार्यक्षेत्र बढ़ाता और उस विचारधारा को जन-जन के मन-मन में हृदयंगम कराने के काम आता है।
इस वर्ष जहाँ प्रज्ञा आयोजन हो रहे हैं उन सभी को निर्देश दिये गये हैं कि अपने-अपने समीपवर्ती क्षेत्रों में न्यूनतम दो ऐसे ही कार्यक्रम अगले वर्ष सम्पन्न कराने का उत्तरदायित्व उठायें और उन्हें सफल बनाने में कुछ उठा न रखें। इस वर्ष 20 गाड़ियाँ कार्यक्षेत्र में गई हैं और 1000 कार्यक्रम हो रहे हैं। अगले वर्ष गाड़ियों की संख्या तथा प्रशिक्षित प्रचारकों की टोलियाँ दूनी और बढ़ा देने का निश्चय किया गया है।
विगत 60 वर्षों से बसन्त पर्व पर हिमालय के ध्रुव केन्द्र से- युग परिवर्तन के सूत्र संचालक द्वारा दिव्य सन्देश अवतरित होते और उसी आधार पर कार्यक्रम बनते रहे हैं। दिव्य शक्ति का मार्गदर्शन सहयोग साथ रहने से वे पहाड़ जैसे कार्य राई बनकर आश्चर्यजनक रीति से सफल सम्पन्न होते रहे हैं।
इस वर्ष गुरुदेव के सूक्ष्मीकरण प्रक्रिया में संलग्न होने के कारण वह दायित्व वरिष्ठ प्रज्ञा परिजनों के कन्धों पर गया है और अब वे ही स्थानापन्न सूत्र-संचालक रहेंगे। बसन्त पर्व इस माह 26 जनवरी का है। उस दिन परिजन दिन में अन्याय कार्य करें, पर रात को दिन छिपने से लेकर सूर्य निकलने तक की अवधि में दो घण्टे दिव्य संपर्क के लिए किसी समय निकाल लें। इस अवधि में एकान्त में रहें। मौन धारण करें। अंतर्मुखी ध्यान मग्न होकर आज्ञाचक्र में उगते हुए सूर्य का ध्यान करें। इस स्थिति में उन्हें इस प्रक्रिया के संकेत मिलेंगे जो उन्हें अगले वर्ष एक साल के भीतर सम्पन्न कर दें।
गुरुदेव को इस स्थिति में हर साल दिव्य प्रकाश मिलता रहा है। अब प्रत्येक वरिष्ठ प्रज्ञा परिजन को उसी आधार पर अपने लिए आवश्यक सन्देश और उसे पूरा करने के लिए दैवी सहयोग प्राप्त करना है।