देश के माने हुये सन्त (kahani)

January 1985

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

रिनझाई, कोरिया देश के माने हुये सन्त थे। उनके निकट रहकर अनेकों ने सिद्धियाँ पाई थीं।

एक धनी व्यक्ति आया और कहा- मुझे बहुत व्यस्तता है, जल्दी सिद्धियाँ मिले, ऐसा उपाय बता दीजिए।

रिनझाई ने कहा- बस मात्र तीस वर्ष लगेगा। इतने समय ठहरना पड़ेगा आश्चर्यचकित होकर उसने पूछा भला इतना समय किसलिए? उत्तर मिला- गलती हो गयी- तुम्हें साठ वर्ष ठहरना पड़ेगा। उतावली दूर करने के तीस वर्ष और सन्देह हटाने के लिए तीस वर्ष।

उस बार व्यक्ति वापस लौट गया। पर घर जाकर विचार करने लगा। इतने बड़े लाभ के लिए यदि सारी जिन्दगी भी लग जाय तो क्या हर्ज है। वह वापस लौट आया और साठ वर्ष साधना करने के लिए तैयार हो गया।

तीन वर्ष पूरे हो पाये थे कि साधना पूरी हुई और सिद्धि मिल गयी।

इतनी देर में होने वाला काम इतनी जल्दी कैसे हो गया, इस शंका का समाधान करते हुये रिनझाई ने कहा- उतावली और असमंजस यह दो ही साधना मार्ग के दो बड़े विघ्न हैं, यदि धैर्य और विश्वास जम सके तो आत्मिक प्रगति में देर नहीं लगती।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118