एक लालची साहूकार था। किसी देवता की अभ्यर्थना करके उसने धन कामना पूर्ति के लिये पारस मणि प्राप्त कर ली। देवता ने एक सप्ताह में उसे लौटा देने के लिए कहा सावधान किया कि लोहे को इससे सटाकर जितना सोना कमाना हो कमा लें। लालची साहूकार सस्ता लोहा अधिक मात्रा में खरीदने के लिए निकल पड़ा ताकि सोना एक साथ बनाया जा सके।
सस्ता और अधिक, यही दो बातें सिर पर छाई रहीं। एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए दौड़ता रहा। यह याद ही नहीं रहा कि एक सप्ताह में लौटा जाना है।
सारी अवधि ढूंढ़ खोज में ही बीत गई। जो आसानी से मिल सकता था उसका ध्यान ही न रहा। देवता नियत समय पर आए और अपना पारस वापस लौटा ले गये।