स्वप्नों में दार्शनिक गुत्थियों के हल

January 1985

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धर्म और राजनीति को प्रभावित करने के अतिरिक्त साँस्कृतिक इतिहास को भी स्वप्नों ने प्रभावित किया और संसार को नया स्वरूप प्रदान करने में महती भूमिका सम्पादित की है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 17 वीं शताब्दी के फ्रेंच दार्शनिक रेने डेस्कार्ट्रेस का है, जिन्हें आधुनिक युग के वैज्ञानिक तरीकों, उनके सिद्धान्त और उनसे सम्बन्धित दर्शन को प्रतिपादित करने वाले वैज्ञानिक युग का जनक माना जाता है।

सन् 1619 में 23 वर्षीय रेने डेस्कार्ट्रेस महान भावनात्मक और बौद्धिक तनाव से गुजर रहे थे। गणित विज्ञान मैथेमेटिकल साइन्स को एकीकृत करने की महत्वाकाँक्षी योजना की कल्पना को पेपर पर साकार रूप नहीं दे पा रहे थे। इस योजना में व्यक्तिगत और कुछ धार्मिक भावनाएँ बाधाएँ डाल रही थीं। 10 नवम्बर की रात्रि को उन्होंने क्रमशः तीन सपने देखे। जिसे बाद में डेस्कार्ट्रेस ने “ऊपर से आये हुए दिव्य संकेतों” की संज्ञा दी थी। संकेतों के आधार पर डेस्कार्ट्रेस अपनी महत्वपूर्ण योजना को दुबारा लिखना आरम्भ किया। स्वप्न से डेस्कार्ट्रेस के चिन्तन मनन की दिशाधारा बदल गई और सत्य की खोज में ही उनका अधिकाँश समय व्यतीत हुआ। जीवन के अन्तिम दिनों में उन्होंने एक दर्शन का विकास किया जिसने बुद्धिवादियों और धार्मिकों को एक सूत्र में पिरोया। इस दर्शन से पश्चिमी विज्ञान 300 वर्षों तक बराबर प्रभावित बना रहा। स्वप्न के तथ्य इतने शक्तिशाली थे जिनसे न केवल डेस्कार्ट्रेस प्रभावित हुए वरन् सम्पूर्ण वैज्ञानिक जगत इन सम्भावनाओं से अनुप्राणित हुआ।

डेस्कार्ट्रेस की कहानी इस तथ्य को उजागर करती है कि डीमिंग और क्रिएटीविटी-स्वप्न और सर्जनात्मकता में कोई विशेष सम्बन्ध है। लेखक, कलाकार, कवि, वैज्ञानिक और आविष्कारकों में से अधिकाँश को सर्जनात्मक बुद्धि, अंतर्दृष्टि, सूत्र संकेतों की उपलब्धि स्वप्नों में हुई थी। इनकी मान्यता थी कि सामान्य जागृत अवस्था में चेतनात्मक तार्किक बुद्धि के सहारे वे अपने क्षेत्र में इतनी सूक्ष्मता से गहराई तक नहीं पहुँच सकते थे। फ्रेंच दार्शनिक मार्क्विस डे कान्डोरेक्ट दावे के साथ कहा करते थे कि कठिन गणनाओं प्रश्नों को वे बहुधा अपूर्ण छोड़ देते थे और सोने चले जाते थे। स्वप्न में ही उनके जटिल प्रश्नों के सम्पूर्ण हल मिल जाते थे। सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शारलोट ब्रोन्टे ने अपने बायोग्राफर को बताया था कि कठिन समस्याओं को लेखन के समय सही ढंग से प्रस्तुत न कर पाने के कारण वे उसे वहीं छोड़ देती थीं। सोते समय स्वप्न में उनके हल उन्हें बहुधा मिल जाया करते थे। इटली के सोलहवीं सदी के प्रख्यात लेखक जेरोम कार्डन ने अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक को स्वप्नों में मिले ज्ञान के आधार पर पूरा किया था। यह स्वप्न लगातार आते रहे, जब तक पुस्तक पूर्ण होकर प्रकाशित नहीं हो गई।

अठारहवीं सदी के विख्यात संगीतज्ञ जिउसेप्पी टार्टिनी ने स्वप्न में एक शैतान को दास बना लिया, जो वायलिन बजाने में उस्ताद था। स्वप्न में टार्टिनी ने शैतान की एक ऐसी संगीत रचना सुनी जिसे उसने कभी न सुना था और न ऐसी कल्पना की थी। नींद खुलते ही टार्टिनी अपना वायलिन उठाकर जितना अच्छा बजा सकते थे, बजाने का प्रयास किया। “द डेविल्स ट्रिल” के नाम से उनकी संगीत रचना प्रसिद्ध हो गई।

स्वप्नों के ऐसे अनेकों उदाहरण विद्यमान हैं जिनसे यह तथ्य उद्घाटित होता है कि मनुष्य का अचेतन एक क्रमबद्ध सुसंगठित फैकल्टी है जिसे जागृत कर लेने पर बहुत कुछ जाना और पाया जा सकता है। जबकि चेतन मस्तिष्क के सहारे क्रमशः तर्क बुद्धि की प्रखरता को बढ़ा लेने पर भी एक सीमा तक ही किसी चीज का ज्ञान हासिल हो पाता है।

यह सर्वविदित है कि जर्मनी के प्रख्यात रसायन शास्त्री केकुले को कार्बोनिक रसायन में बेंजीन के फार्मूले का ज्ञान स्वप्न में ही उपलब्ध हुआ था। वैज्ञानिकों के सम्मेलन में केकुले ने कहा था- ‘‘भद्रजनों! हमें स्वप्न का अध्ययन करना चाहिए और तब हम सत्य के अधिक नजदीक पहुँच सकते हैं।”

बीसवीं शताब्दी में वैज्ञानिक क्रान्ति के जन्मदाता डेनमार्क निवासी सुविख्यात भौतिक विज्ञानी नील्स बहर परमाणु ऊर्जा और क्वान्टम मेकेनिक्स के विकास में अग्रणी माने जाते रहे हैं। उन्हें हाइड्रोजन एटम-एटामिक “मशरूम” का ज्ञान स्वप्न में मिला था। सन् 1913 में एक विशेष प्रकार के परमाणु का ज्ञान भी स्वप्न के माध्यम से ही उन्हें ज्ञात हुआ था।

18 वीं सदी के गोथिक रोमांसवादी उपन्यासों की प्रसिद्ध लेखिका अन रेडक्लिफे ने अपने सभी उपन्यास स्वप्नों के आधार पर लिखे थे। लिखने की पूर्व सन्ध्या को वे अधिक मात्रा में गरिष्ठ भोजन कर सो जाती थीं।

साहित्यिक क्षेत्र में स्वप्नों से प्राप्त जानकारी के आधार पर कथा साहित्य लिखने वाले कथाकारों में राबर्ट लूइस स्टिवेन्सन का नाम सबसे आगे है। ‘लिटिल प्यूपिल’ “बाउनीज” तथा ‘डा. डेथ और मि. हाइडे” की रोमाँचकारी कहानियाँ राबर्ट लुइस की सर्वोत्तम कृति मानी जाती है। सभी पुस्तकें स्वप्न में मिली जानकारी और देखे गये दृश्यों के आधार पर लिखी गई हैं।

कोलरिज की विख्यात अँग्रेजी कविता “कुबला खान” स्वप्नों के इतिहास में लिखी गई रहस्यपूर्ण, गीतात्मक एवं बहुत ही प्रतीकात्मक शैली में लिखी गई अनुपम कृति है। स्वप्न भंग होते ही कोलरिज उठ बैठते थे और मस्तिष्क में अंकित कविताओं को लिपिबद्ध कर डालते थे। एक दिन कोलरिज कुबला खान से सम्बन्धित एक लेखांश पढ़ते हुए अपनी कुटिया में सो गये। जागने पर स्वप्न में देखी कविता को लिपिबद्ध कर ही रहे थे कि अचानक एक आगन्तुक आ धमका और उनकी तन्द्रा भंग हो गई। उसके चले जाने के एक घण्टे बाद कोलरिज ने अधूरी कविता को पूरा करने का भरसक प्रयत्न किया, परन्तु वह उनकी स्मृति पटल से ओझल हो चुकी थी।

अमेरिका के प्रख्यात मनोवैज्ञानिक एवं दार्शनिक विलियम जेम्स को स्वप्न में ब्रह्मांड के रहस्य को सुलझाने वाली एक वैचारिक कल्पना सूझी। उत्तेजित और अर्ध सुषुप्तावस्था में ही उन्होंने उन पंक्तियों को संक्षेप में पैड पर नोट कर लिया।

मानवी सभ्यता के विकास में सपनों का एक अपना ऐतिहासिक महत्व है। 4000 वर्ष पूर्व बैबिलोनिया में लिखी गई सबसे पुरानी पुस्तक “द एपिक आफ गिज्गामेस” स्वप्न और स्वप्न प्रतिमावली से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। ‘ओल्ड टेस्टामेन्ट’ में जोसेफ की कहानियाँ स्वप्न शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। जोसेफ को भविष्य में आने वाले संकटों का पूर्वाभास स्वप्नों के माध्यम से हो गया था। सात वर्ष तक पड़ने वाले भीषण अकाल से निपटने के लिए इजिप्टवासियों ने समय रहते साधन जुटा लिये थे और दुर्भिक्ष के समय अपनी जान बचाने में समर्थ हुए थे।

स्वप्नों की कहानियाँ इस तथ्य का उद्घाटन करती हैं कि मनुष्य के अचेतन या अवचेतन में छिपे ज्ञान भण्डार संकेत रूप में समय-समय पर बाहर आते रहते हैं और अपने अस्तित्व का बोध कराते हैं।

स्वप्नों के माध्यम से दैवी संकेतों का मिलना एक महत्वपूर्ण तथ्य है। 600 वर्ष ईसा पूर्व बेबीलोन के राजा नेबूचाड ने जार को स्वप्न के माध्यम से न केवल अपने राज्य के पतन की जानकारी मिल गई थी वरन् अपने पागल हो जाने के दृश्य भी देख गये थे।

मेडिया के राजा अस्ट्यागेस ने स्वप्न में देखा कि उनकी लाड़ली राजकुमारी मैण्डेन का विवाह किसी विजातीय लड़के से हो गया है जिसने राजा को पदच्युत करके मेडिया का राज्य छीन लिया। स्वप्न से राजा इतना अधिक भयभीत हो गया कि वयस्क होते ही राजकुमारी की शादी महत्वाकाँक्षाहीन निम्नवर्गीय एक पारसी व्यक्ति से सम्पन्न कर दी जिससे राजा को भविष्य में कोई खतरा अथवा आशंका न रहे। मैण्डेन के गर्भवती होते ही राजा अस्ट्यागेस ने एक दूसरे सपने में देखा कि लड़की के डिम्बाशय से एक बेल निकलकर सम्पूर्ण एशिया में फैल गई है। राज्य सत्ता को बनाये रखने के उद्देश्य से राजा ने अपने ग्रैण्ड चाइल्ड का जन्म होते ही हत्या करा देने का निश्चय कर लिया। दैव योग से राजा के उद्यम कंस की तरह असफल रहे और मैण्डेन का लड़का आगे चलकर विजयी साइरस महान कहलाया।

ग्रीस के सुप्रसिद्ध इतिहास वेत्ता हीरोडोटस ने लीडिया के राजा क्रोएसस के एक चिन्ताजनक स्वप्न का वर्णन किया है। क्रोएसस के दो लड़के थे जिनमें से एक गूँगा एवं मन्द बुद्धि वाला था। दूसरा लड़का अट्यस कुशाग्र बुद्धि सम्पन्न बलवान योद्धा था। राजा ने एक स्वप्न में देखा कि अट्यस को किसी ने तीखे नोक वाले लौहअस्त्र से मार डाला है। स्वप्न ने राजा को विचलित एवं भयभीत कर दिया। अट्यस के भावी खतरे को देखते हुए उसे मिलेट्री के कड़े सुरक्षा घेरे में रखा जाने लगा। अट्यस कैदियों की-सी जीवन चर्या से तंग आ गया। एक दिन जंगली सुअर के शिकार करने के लिए उसने अपने पिता से अनुमति माँगी। विश्वासपात्र एवं अनुभवी सुरक्षा सैनिक अस्ट्राडस के साथ शिकार खेलने की अनुमति मिल गई। जंगल में सुअर को चारों तरफ से घेर लिया गया और गोलियों की बौछार करने लगे। अस्ट्राडस का निशाना चूक गया और गोली अट्यस के सीने में जा घुसी और वह मर गया। क्रोएसस का सपना सच साबित हुआ।

शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य का स्वप्नों से सम्बन्ध खोजने का श्रेय फ्रायड को दिया जाता है परन्तु इससे भी पूर्व कितने ही मनोवैज्ञानिकों ने स्वप्नों का रहस्योद्घाटन किया था। ईसा से दो सौ वर्ष पूर्व ग्रीस तथा अन्य भूमध्यसागरीय प्रान्तों में चिकित्सा के देवता-एस्कूलैपियस को लोग स्वप्न प्रणेता के रूप में पूजते थे। वर्तमान इजिप्ट और मेसोपोटेमिया में भी इनकी पूजा होती थी। वर्तमान इजिप्ट में आज भी भूत पिशाचों को भगाने-मारने के लिए स्वप्नों के द्वारा संकेत-गाइड लाइन प्राप्त किए जाते हैं। अनेक पिछड़ी जातियाँ कोई विशेष निर्णय-शिकार करने का समय निर्धारण स्वप्नों के माध्यम से ही प्राप्त करते हैं। इजिप्ट में अनेकों मन्दिर ऐसे थे जहाँ एक पादरी के निर्देशन में स्थानीय लोग स्वप्न के माध्यम से दुःख दर्दों से छुटकारा पाने के लिए आते थे। पादरी को “मास्टर आफ दी सेक्रट थिंग्स” के नाम से जाना जाता था। “स्वप्न चिकित्सा’ इन मन्दिरों का व्यवसायिक पेशा हो गया था। पुरातत्व विदों ने ऐसी एक व्यवसायिक प्लेट खोज निकाली है जिस पर स्वप्न द्वारा उपचार करने का विवरण खुदा हुआ है।

इजिप्ट में हाथौर के मन्दिर के पास सेनेटोरियम के ध्वंसावशेष अब भी मौजूद हैं जहाँ स्वप्नों के द्वारा बीमारियों की पहचान की जाती थी और उनका चिकित्सा उपचार किया जाता था।

एस्कूलैपियस के मन्दिर में ‘ड्रीम इन्क्यूबेसन राइट्स (स्वप्न उष्मायन अनुष्ठान) की प्रक्रिया बहुत ही जटिल रूप में सम्पन्न की जाती थी। सम्भावित ड्रीमर को एक सच्चे निष्ठावान साधक की भाँति माँस, मदिरा, चौड़ी फलियां-सेम, आदि और रतिक्रिया से परहेज करना पड़ता था। इसके बाद धार्मिक रीति के अनुसार पवित्र होने के लिए ठण्डे जल से स्नान करना पड़ता था। सायंकाल में चिकित्सा के देवता एस्कूलैपिस की प्रार्थना करके ड्रीमर निर्विष पीले साँपों के ऊपर विशेष प्रकार से बनी स्वप्न शय्या पर सो जाता था। सुबह उठकर रोगी-ड्रीमर देवता द्वारा स्वप्न में बताये गये चिकित्सा उपचार, पथ्य, औषधियों का विवरण सुनाता था और तद्नुरूप उपचार करके स्वस्थ हो जाता था। कुछ लोग स्वप्न शय्या पर सोते समय रात्रि में ही भले चंगे हो जाते थे।

ग्रीक के प्रख्यात चिकित्सा शास्त्री क्लौडिअस गेलन सन् 130 से 200 तक सर्जरी के लिए विख्यात रहे। उनका कहना था कि सर्जरी का सूक्ष्मतम ज्ञान उन्हें स्वप्न में देवता द्वारा उपलब्ध कराया गया था।

ग्रीक दार्शनिक अरस्तू ने ईसा से 400 वर्ष पूर्व प्रतिपादित किया था कि स्वप्नों के माध्यम से कभी-कभी हमें अचेतन की परतों का-भविष्य का ज्ञान हो जाता है। बाह्य उत्तेजनाओं के समाप्त होते ही चंचल मन शाँत हो जाता है और अंतराल की गहराई में प्रविष्ट करके उपयोगी जानकारियों को ढूंढ़ निकालता है। अरस्तू ने सदियों पूर्व स्वप्नों के वैज्ञानिक स्वरूप को लोगों के समक्ष रखा था। प्लेटो के विचार अरस्तू से भिन्न थे। उनकी मान्यता थी कि कुछ स्वप्न डिवाइन ओरिजिन के-दिव्य सन्देश होते हैं। मनुष्य का आन्तरिक व्यक्तित्व ही स्वप्नों के माध्यम से बाहर आती है। इस तथ्य को प्लेटो ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “रिपब्लिक” में प्रतिपादित करते हुए लिखा था- ‘‘अच्छे सभ्य लोगों में भी एक अनैतिक कानून रहित वनचर प्रकृति विद्यमान रहती है जो निद्रावस्था में प्रकट होती है।” इसी तथ्य को प्लेटो से 2300 वर्ष बाद फ्रायड ने अपनी पुस्तक “इण्टर प्रिटेशन आफ ड्रीम्स” में प्रतिपादित किया।

अरस्तु के बाद रोम के प्रख्यात विद्वान सिसरो ने अपनी पुस्तक “आन डिविनेशन” में स्वप्नों का जिक्र किया है। रोम के ही सुविख्यात लेखक आर्टेमीडोरस ने दूसरी शताब्दी में विभिन्न देशों, स्थानों, ड्रीम इन्क्यूवेशन केन्द्रों का निरीक्षण किया था और स्वप्न से सम्बन्धित व्यक्तियों से साक्षात्कार करके स्वप्न से जुड़ी सभी जानकारियों और हस्तलिपियों को एकत्रित किया था और ‘‘ओनीरोक्रिटिका” नामक अपनी पुस्तक में स्वप्न के पाँच प्रकारों का वर्णन किया गया है। (1) साँकेतिक (2) भविष्य सूचक (दिव्य रहस्योद्घाटन) (3) इच्छापूर्ति (4) दुःस्वप्न और (5) दिव्य स्वप्न (दिव्य दर्शन)। इसके बाद इन्सोम्नियम और सौम्नियम नाम से स्वप्नों को दो श्रेणियों में विभक्त किया गया है। जिनमें प्रथम शारीरिक और मानसिक स्तर के और दूसरे भविष्य का परिचय साक्षात्कार करने वाले होते हैं। बाद में जुंग ने इसी को आधार मानकर स्वप्नों की सामान्य और दिव्य दो श्रेणियां निर्धारित कीं। भारत, चीन और जापान में स्वप्न सम्बन्धी अनेकों पुस्तकें उपलब्ध हैं, जिनमें आत्मिकी के आधार पर स्वप्नों के माध्यम से दार्शनिक गुत्थियों के हलों का वर्णन बहुलता से मिलता है।


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