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Akhand Jyoti
Year 1985
Version 2
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January 1985
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विधाता ने चन्दन का वृक्ष फल फूल से रहित बनाया, तो भी वह दूसरों के सन्ताप मिटाता है।
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Page Titles
संपदा को रोकें नहीं
भक्त के लिए ईश्वर का उपहार
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प्रार्थना बनाम याचना
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साध्य, साधना और साधक
शकडाल भाग्यवादी (kahani)
अदृश्य सिद्ध पुरुष
चेतन सत्ता के भिन्न-भिन्न आयाम
सूक्ष्म शरीर के पाँच कोश एवं उनका वैज्ञानिक विवेचन
Quotation
मनोमुग्धकारी प्रतिमा देखी (kahani)
नव सृजन के निमित्त समर्थ तंत्र की स्थापना
राजा आमात्य जनश्रुति (kahani)
काम तत्व की विकृति एवं परिष्कृति
Quotation
आधुनिक दर्शन जिसमें दुर्बल के लिए कोई स्थान नहीं
धर्म और विज्ञान का पारस्परिक सहयोग नितान्त आवश्यक
क्षतिग्रस्तता और सहानुभूति
उलटवाँसियों में निहित कबीर का रहस्यवाद
पेट भरने की फिराक (kahani)
कर्मफल व्यवस्था का एक सुनिश्चित स्वचालित तंत्र
घ्राणेन्द्रियों का महत्व भी कम नहीं
चाइसेन चीन के उच्च अधिकारी (kahani)
मोटा बटेर और दुबला कौआ
प्राण ऊर्जा के विभिन्न पक्षों का वैज्ञानिक विश्लेषण
VigyapanSuchana
संकल्प के अभाव में शक्ति निरर्थक है।
संयोगों के विचित्र किन्तु सुव्यवस्थित घटनाक्रम
देश के माने हुये सन्त (kahani)
अभिशप्त सम्पदा को ढूँढ़ निकालने के असफल प्रयास
प्रगति और अवगति पुरुषार्थ पर अवलम्बित
मानवी वरिष्ठता अक्षुण्ण बनी रहे
स्वप्नों में दार्शनिक गुत्थियों के हल
Quotation
दान बड़ा या ज्ञान (kahani)
देवताओं और मनुष्यों के मध्य आदान-प्रदान की कथा गाथा
मानवी और दैवी वाणियाँ
शांतिकुंज में “समग्र स्वास्थ्य सम्वर्धन” सत्रों का अभिनव शुभारम्भ
चन्द्रमा की दो सन्तानें (kahani)
देने वाला कभी घाटे में नहीं रहता
अपनों से अपनी बात-
शांतिकुंज आगमन के लिए निमन्त्रण
लालची साहूकार (kahani)
वरिष्ठ परिजन बसन्त पर्व पर दिव्य सन्देश एवं सहयोग प्राप्त करें।
आत्म-विश्वास जगाओ रे (kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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