Quotation

May 1972

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

श्रेय के लिए, मनुष्य को सब त्याग करना चाहिए।

कठिन प्रयोजन पूरे करती थी। सुना है अलादीन के पास जादुई चिराग था और उसके सहारे अनेक भूत-प्रेत उसकी सहायता करने तैयार रहते थे। हनुमान ने शक्ति राम से पाई थी और अर्जुन ने कृष्ण से। ऐसी ही शक्ति गुरुदेव ने अपने मार्ग दर्शक से प्राप्त की, अभी भी कर रहे हैं और जब तक ईश्वरीय प्रयोजन पूरा नहीं हो जाता है तब तक करते भी रहेंगे। इसका कारण और कुछ नहीं केवल एक है वे अपने को पात्र, सत्पात्र और महापात्र बनाने में तत्पर रहें। गुरु की खोज उन्होंने कभी नहीं की। फूल जब भौंरे और मधु मक्खी, तितली तलाश करने नहीं जाता तो शिष्य ही गुरु की तलाश करने क्यों जाय? गुरुदेव अपने जिम्मे सौंपा हुआ काम करते रहते हैं। अपने मार्गदर्शक के पास भी तब जाते हैं-उतने दिन के लिए जाते हैं- जितने समय के लिए जब उन्हें पुकारा बुलाया जाता है। वे सदा यही कहते हैं पात्रता का विकास ही गुरु कृपा का ईश्वरीय अनुकम्पा का मूलभूत आधार है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles