राविया से किसी ने पूछा किस सूरत में खुदा बन्दे से राजी होता है? उनने जवाब दिया-जब वह अपनी मेहनत पर सब्र करता है जो खुदा देता है उसे शुकर के साथ कबूल करता है।
किसी ने पूछा-अल्लाह की राह पर किस तरह चला जाय। राविया ने कहा-यह मंजिल दिल पर सवार होकर पूरी की जाती है। हाथ-पैरों की उस राह में कोई पहुँच नहीं है।
तो नहीं ही कहा जायगा। गुरु देव अपने मार्ग दर्शक के प्रति अपने श्रद्धा भरे प्रेम का परिचय आजीवन देते चले आये हैं वे चाहते हैं कि उनके साथ बँधे हुए लोग भी अपनी भावनात्मक गहराई का एक ही प्रमाण परिचय प्रस्तुत करें। सघन अनुदान-सक्रिय मार्ग दर्शन और शक्ति प्रत्यावर्तन के लिये भी अधिकारी पात्रों को कब से तलाश कर रहे हैं। अब तो वह तलाश व्याकुलता में परिणत हो गई है। पर परिजनों में पात्रता का अभाव उन्हें इतना कष्टकारक होता है कि वे कभी-कभी रो पड़ते हैं।
परिजनों को आत्मिक प्रगति की दिशा में कहने लायक प्रगति करने के लिये उपरोक्त कसौटियों पर अपनी पात्रता सिद्ध करनी चाहिए।