महाभाग कौत्स कठोर तप साधना में संलग्न थे। देवराज इन्द्र उनके पास गये और पूछा-किस प्रयोजन के लिए आपका तप है भगवन्, मुझे आज्ञा दीजिये कि आपका अभीष्ट प्रस्तुत करूं। कौत्स ने कहा-देव, केवल आत्म-शुद्धि के लिए तप कर रहा हूँ। यह आन्तरिक अशुद्धि ही अभावों और कामनाओं से जीव को संतप्त करती है।