क्राँति की भविष्यवाणी करना असंभव है

May 1972

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

क्राँति की गति और समय के विषय में भविष्यवाणी करना असंभव है यह स्वयं अपने नियमों से शासित होती है किन्तु जब यह फूटती है तो सब बाधाओं को ठुकराती चली जाती है। -लेनिन

युग-निर्माण आन्दोलन की सृजन सेना धर्म तंत्र में प्रवेश करे और परम्परा गत श्रद्धा को, उन मूल-भूत आदर्शों को कार्यान्वित करने में प्रयुक्त करे जिनके लिये कि तत्व दर्शियों ने यह धर्म कलेवर खड़ा किया था। इस प्रकार धर्म तंत्र के साधनों के सृजनात्मक प्रयोजन में लगाकर उसे लोक श्रद्धा का विषय बनाये रखा जा सकेगा।

नव निर्माण की पृष्ठ भूमि धर्म मूलक ‘ज्ञान’ होगा। इसी के लिए ज्ञानतन्त्र खड़ा किया गया है और ज्ञान यज्ञ का महान अभियान चलाया गया है। स्वल्प साधनों से भी वह जिस द्रुतगति के साथ बढ़ता चला जा रहा है उसे देखते हुए पूर्व से सूर्योदय होने के और उसका प्रकाश सर्वत्र फैलने की बात पर सहज ही विश्वास किया जा सकता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles