खलीफा हारुँ रसीद ने सन्त फलीज बिन अयाज की बड़ी प्रशंसा सुनी। वे उनसे मिलने गये। जैसा गुना था वैसा ही उन्हें पाया।
सत्संग का लाभ लेकर जब खलीफा चलने लगे तो उन्होंने भेंट स्वरूप एक हजार दीनार पेश किये।
सन्त फलीज ने मुसकराते हुए उन्हें लौटा दिया और कहा- मैंने आपको जन्नत में जाने की राह बताई बदले में आप मुझे दोजख जाने के लिए क्यों धकेलते हैं।