प्रतिशोध ने डाँटते हुये धैर्य से कहा- “बन्धु! आप जैसे कायर के साथ रहने में मेरी शान घटती है, आप मेरे साथ न रहें तो ही अच्छा।”
धैर्य ने साथ छोड़ दिया, तभी से एकाकी प्रतिशोध भयंकर काण्ड करता हुआ संसार में विचरण कर रहा है।