Quotation

March 1970

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

सोपानभूतं स्वर्गस्य मानुष्यं प्राण्य दुर्लभम्।

तथात्मानं समाधत्स्व भ्रश्यसे न पुनर्यथा॥

अपूर्व पुण्यों से प्राप्त सुरदुर्लभ मानव शरीर स्वर्ग प्राप्ति का सोपान होता है। अतः इसे पाकर सदा शुभ कर्मों में ही लगाना चाहिये, ताकि मनुष्य पुनः इस शरीर से पतन, अवनति और भ्रष्टता की ओर उन्मुख न हो।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles