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March 1970

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कोई साँसारिक भय ज्ञानी पुरुष के मन को नहीं दहला सकता, चाहे वे उसके कितने ही निकट आ जाए। जैसे कोई तीर पत्थर की विशाल ठोस शिला को नहीं बेध सकता।

-योगवशिष्ठ

इन घटनाओं का सम्बन्ध जो बीत गया उस समय से है, इसलिये अब इनका कोई महत्व नहीं रहा। पठनीय और विचारणीय तो वह अंश है, जिसमें आगामी दशक और सत्र 2000 तक की परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है।

अपनी एक महत्वपूर्ण भविष्य वाणी में श्री एण्डरसन ने बताया कि आगामी 3 वर्ष (सन् 1970, 71 और 72) संसार के लिये महाविनाशक होंगे। एशिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश (चीन) उत्पात शुरू करेगा और उसका सामना करने के लिए अमेरिका व रूस को एक होना पड़ेगा। अरब राष्ट्रों सहित मुसलिम बहुल राज्यों में आपसी क्रान्तियाँ और भीषण रक्तपात होंगे। युद्धों की यह शृंखला 1980 तक चली जायेगी। इस बीच सभी देशों के राजनैतिक प्रधानों का अस्तित्व खतरे में रहेगा और उनका प्रभुत्व घटता हुआ चला जायेगा। लोग छोटे से छोटे तबके के सच्चे ईमानदार और धार्मिक व्यक्ति को महत्व देने लगेंगे। कई देशों में बुरे लोगों को विधिवत् नष्ट करने के लिये कई तरह की चमत्कारी शक्तियाँ तक उदय हो सकती हैं।

इस बीच भारतवर्ष में एक छोटे देहात में जन्मे व्यक्ति का धार्मिक प्रभाव न केवल भारतवर्ष वरन् दूसरे देशों में भी बढ़ने लगेगा। यह व्यक्ति इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मसीहा बनेगा, उसके पास अकेले उत्पादित इतनी संगठन शक्ति होगी, जितनी विश्व के किसी भी राष्ट्र की सरकार के पास भी नहीं होगी। यह संसार के तमाम संविधान के समानान्तर एक मानवीय संविधान का निर्माण करेगा, जिसमें सारे संसार की एक भाषा, एक संघीय राज्य, एक सर्वोच्च न्याय-पालिका, एक झंडा की रूपरेखा होगी। इस प्रयत्न के प्रभाव से मनुष्य में संयम, सदाचार, न्याय, नीति, त्याग और उदारता की होड़ लगेगी। समाचार-पत्रों के मुख-पृष्ठों पर ऐसे समाचार छपा करेंगे, जो मानवीय सेवा , त्याग साहस और उदारता के अद्वितीय उदाहरण होंगे। जिन्हें पढ़कर लोगों की भावनायें बरबस उमड़ने लगा करेंगी। हत्या लूट-पाट, राहजनी, चोरी, छल आदि अपराधों का अस्तित्व सदैव के लिये मिट जायेगा। सन् 1999 तक इस सारे ही संसार का स्वरूप बदल जायेगा और फिर हजारों वर्षों तक लोग सुख-शाँति का जीवन व्यतीत करेंगे।

उनका यह भी कहना है कि- “आज संसार धर्म और संस्कृति के जिस स्वरूप की कल्पना भी नहीं करता, उस धर्म का तेजी से विस्तार होगा और वह सारे संसार पर छा जायेगा। यह धर्म और संस्कृति भारतवर्ष की होगी और यह मसीहा भी भारतवर्ष का ही है, जो इन दिनों आने वाली क्राँति की नींव सुदृढ़ बनाने में जुटा हुआ है।

लगभग ऐसी ही भविष्य वाणी जीन डिक्सन ने भी की है। वह पहले छप चुकी है, इस तरह संसार के तीनों महान् भविष्यवक्ताओं का एक ही तरह का भविष्य-दर्शन यह विश्वास दिलाता है कि युग-परिवर्तन परमात्मा की निजी इच्छा है और वह रुकेगा नहीं। यह युग बदल कर ही रहेगा, इसमें सन्देह नहीं है।


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