1999 ई. की दुनिया कुछ और ही होगी

March 1970

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“अणु-अस्त्रों की भयंकरता की ओर अभी किसी का ध्यान नहीं है पर अगले तीन वर्षों के भीतर ही चीन या रूस का कोई आणविक परीक्षण साइबेरिया में होगा। इस परीक्षण से वहाँ की पृथ्वी फट जायेगी (स्मरण रहे साइबेरिया संसार का सबसे अधिक रेडियो विकिरण वाला क्षेत्र है) जो पृथ्वी अभी गोलाकार है, उसके फट जाने से अन्तरिक्ष परिभ्रमण-पथ पर उसकी स्थिति फटे हुए रबड़ के गेंद की तरह होगी। समुद्र उफन उठेगा, भीषण ताप से संसार में त्राहि-त्राहि मच जायेगी, पृथ्वी कई टुकड़ों में बिखरते-बिखरते बचेगी पर तीव्र-भूकम्प, तूफान, अतिवृष्टि और महामारियों की विभीषिका फैल जाने से लाखों लोग नष्ट हो जायेंगे॥”

अमेरिका की स्थिति बड़ी भयानक होगा। सन् 1980 तक चीन उसके किन्हीं दो सबसे बड़े शहरों पर अणु-बम गिरायेगा। उससे अमेरिका का क्रोध एकदम भड़क उठेगा। अमेरिका और रूस दोनों एक हो जायेंगे और दोनों मिलकर चीन पर आक्रमण करके उसे पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट कर देंगे। चीन में बहुत थोड़े लोग रह जायेंगे, फिर उनकी रक्षा भारतवर्ष करेगा। यह युद्ध तीसरे महायुद्ध के नाम से पुकारा जायेगा और पृथ्वी का अन्तिम युद्ध होगा। इस युद्ध में आतंकवादी देश, व्यक्ति और शक्तियाँ बिलकुल नष्ट हो जायेंगी और तब संसार में संयुक्त राष्ट्र संघ की तरह का एक अन्तर्विश्व स्थापित होगा।”

यह भविष्य वाणी अमेरिका के ऐसे भविष्य वक्ता की है, जिसकी भविष्य वाणियाँ आज तक अधिक से अधिक तीन प्रतिशत ही असत्य रहीं, उसकी शेष 97 प्रतिशत भविष्यवाणियाँ कभी असत्य नहीं निकलीं। अमेरिका और यूरोपीय देशों में भविष्य सम्बन्धी अद्भुत अतीन्द्रिय ज्ञान के लिये सर्वाधिक विख्यात नाम श्रीमती जीन डीक्सन और प्रोफेसर कीरो के हैं। विक्टोरिया युग का कवि टेनीसन भी दिव्य दृष्टि रखता था। उस युग में जब लोगों ने विमान, चन्द्र यात्रा और अणु-अस्त्रों की कल्पना भी नहीं की थी, टेनीसन ने अपनी एक कविता में लिखा था- “ यह संसार इतना विस्तृत है कि उसे समय ही माप सकता है, समय की उस विराट् सीमा को पार कर मेरी आंखें सुदूर भविष्य को देख रही हैं। मुझे दिखाई दे रहा है, संसार का व्यापार क्षेत्र बढ़ गया और आकाश के मार्ग से सामान की आवाजाही प्रारम्भ हो गई है। मनुष्य पृथ्वी के परे अवान्तर ग्रहों में आ-जा रहा है। यह विमान अपने साथ कोई बड़ा गोल आग्नेयास्त्र लिये दौड़ रहे हैं। यह अस्त्र पृथ्वी पर छोड़े गये हैं, उनका नीला धुँआ आकाश में छा गया है दक्षिण से एक तीव्र ताप उमड़कर सारे विश्व में फैल रहा है, जिसकी ज्वाला में संसार भर के झण्डे जलकर खाक हो गये हैं। युद्ध-बन्दी की घोषणायें कर दी गईं और पृथ्वी के सब लोग परस्पर मिल-जुलकर प्रेमपूर्वक रहने लगे।”

आज यह भविष्य वाणियाँ बिलकुल सच दिखाई दे रही हैं। विमान हम सब देख रहे हैं। दो-दो मानव-युक्त चन्द्रयात्रायें हो चुकी, मनुष्य तो सौर-मंडल के दूर की खोज के भी उपक्रम कर रहा है। अणुबम एक तो गिराया भी जा चुका, उसका धुआँ भी नीला ही होता है। पर इन सब सत्यों के बावजूद भी जब टेनीसन ने यह भविष्य वाणियाँ की थी कोई ऐसा ठोस प्रमाण नहीं था, जिससे उसके भविष्य दर्शन पर तत्काल विश्वास कर लिया जाता और उसके आधार पर पृथ्वी में रहने वाले लोग कोई परिवर्तित जीवन नीति अपनाने की प्रेरणा ग्रहण करते।

ऊपर के दो पैराग्राफों में दिये गये भविष्य-सम्भाषण एक ऐसे सूक्ष्म-दर्शी व्यक्ति के हैं, जिसकी भविष्य वाणियाँ जोन डिक्सन, कीरो और टेनीसन से भी अधिक सत्य पाई गई हैं। एक-एक, दो-दो वर्ष आगे की, की हुई उसकी भविष्य वाणियों को लोगों ने सैकड़ों बार सत्य होते देखा है। इस ज्योतिषी का जन्म सन् 1910 में अयोवा (अमेरिका) में हुआ था, उसे लोग ‘एण्डरसन’ के नाम से जानते हैं। एण्डरसन को यद्यपि मुख्य ख्याति उसके अतुलित शारीरिक पराक्रम और व्यायाम सम्बन्धी अद्भुत प्रदर्शनों के कारण मिली है तथापि वह शरीर की अपेक्षा प्रज्ञा-चक्षु अधिक है, उसकी शायद ही कोई भविष्य वाणी असत्य निकली हो, यही कारण है कि न केवल अमेरिका वरन् दूसरे देशों के व्यापारी, उद्योगपति, फिल्म-कलाकार, नेता आदि भी उससे भविष्य सम्बन्धी प्रश्न पूछ कर काम करते हैं।

एण्डरसन आठ वर्ष का हो गया, तब एक दिन वह अपने घर की बैठक में खेल रहा था। उन दिनों पहला विश्व-युद्ध प्रारम्भ हो चुका था। एण्डरसन का भाई नेल्सन कनाडा की सेना में कप्तान हो गया था। उसकी फोटो बैठक में लगी हुई थी। एण्डरसन अपनी माँ को पकड़कर कमरे में ले गया और बोला- “माँ देख भैया के चेहरे पर बन्दूक की गोली लग गई है और वह पृथ्वी पर गिरकर मर चुके हैं।”

माँ ने डाँटा- “चल मूर्ख! फिर कभी ऐसी बुरी बात मुख से मत निकालना।” पर एण्डरसन फिर भी वही बात कहता रहा। इस घटना के दो-तीन दिन बाद ही कनाडा से तार आया कि नेल्सन की 1 नवम्बर 1918 को गोली लगने से मृत्यु हो गई है। यह समाचार सुनते ही परिवार शोक-सागर में डूब गया और आश्चर्य में भी कि एण्डरसन को यह पूर्वाभास किस तरह हो गया था।

इसके बाद उसने कई ऐसी घटनायें अपने मुहल्ले, पास-पड़ौस वालों से सम्बन्धित बताईं और वे सब अक्षरशः सत्य निकलीं, तभी से लोग एण्डरसन को ‘सिद्ध भविष्य-वक्ता’ मानने लगे पर घर वालों ने ध्यान बटाने के लिये उसे शीघ्र ही एक खान में नौकरी से लगा दिया। यह नौकरी अधिक दिन नहीं चली। उसने यह कहकर- मैं उन्मुक्त आत्मा हूँ, मुझमें योग के संस्कार हैं, वह मुझे निरन्तर आत्म-विकास की प्रेरणा देते रहते हैं, मैं भौतिक परिस्थितियों का धन, रुपये, पैसे के लालच से बँधा नहीं रह सकता। उसने नौकरी छोड़ दी। और व्यापारी जहाजों के द्वारा संसार भ्रमण के लिये निकल पड़ा।

इस बीच उसने अपने शरीर का जिस तरह विकास किया उसे देखकर तो अनेक लोग यहाँ तक कहने लगे थे कि यह पूर्व जन्म का कोई योगी है, पिछले जन्म में किये योगाभ्यास का प्रभाव और प्रकाश उसमें अब भी विद्यमान् है। वह स्वयं इस पर कुछ भी टीका-टिप्पणी नहीं करते पर यह अवश्य स्वीकार करते हैं कि मनुष्य की सामर्थ्य नापी नहीं जा सकती। यदि वह संयम और परिश्रम का, व्यायाम और योगाभ्यास का प्रयोग करे तो अपने शरीर में अद्भुत सामर्थ्य उत्पन्न कर सकता है, साथ ही अपनी अतीन्द्रिय चेतना की शोध करने से चमत्कार लगने वाली बातों को नित्य-जीवन की भाँति सामान्य रूप से विकसित कर सकता है।

एण्डरसन शारीरिक सामर्थ्य का युवावस्था में सफल प्रदर्शन कर चुके हैं। वह अपने कन्धे पर लोहे की छड़ रख कर उसमें 15-20 व्यक्तियों तक को लटकाकर चल फिर लेते, कार उठा लेते और शक्तिशाली मोटर को भी हाथ से रोक देते तो मोटर एक इंच आगे न बढ़ती। जापानी व्यायाम-जूड़ो के वह सफल प्रदर्शनकारी माने जाते थे। एक बार उन्होंने अपने फार्म में बहुत से साँड पाले। एक दिन उन्होंने सार्वजनिक घोषणा करा दी कि वे साँड़ों से कुश्ती लड़ेंगे। समाचार बड़ा दिलचस्प था। हजारों की संख्या में दर्शक एकत्रित हो गये। कई लोग तो यहाँ तक कहते सुने गये कि एण्डरसन शीघ्र ही मरेगा पर जब उसने उन सबके सामने बड़े-बड़े उन्मत्त और क्रुद्ध सांड़ों को पछाड़ना प्रारम्भ कर दिया, तब लोगों को उसकी वास्तविक शारीरिक सामर्थ्य का पता चला।

एण्डरसन अब साठ वर्ष से अधिक आयु के हैं तो भी लोह की नाल दोनों हाथों से पकड़कर सीधा कर देते हैं। लोगों को आश्चर्य है कि हनुमान ने पहाड़ किस तरह उठाया होगा पर एण्डरसन ने सिद्ध कर दिखाया है कि संयम, शुद्ध, खान-पान, ब्रह्मचर्य और योगाभ्यास से ऐसी किसी भी सामर्थ्य का विकास असम्भव नहीं। वे स्वयं भारत आकर योग और ज्योतिष सम्बन्धी विस्तृत ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे पर परिस्थितियाँ अनुकूल न होने से वे कभी अपनी यह इच्छा पूर्ण न कर सके। तो भी भारतीय धर्म और दर्शन के प्रति उनकी रुचि नहीं गई, जिसे वे और तरह से पूरी करते हैं।

द्वितीय विश्व-युद्ध के सम्बन्ध में उन्होंने घोषणा की- “इस युद्ध में रूस और अमेरिका एक साथ मिलकर लड़ेंगे पर आगे दोनों में शत्रुता हो जायेगी।” उन दिनों जर्मनी और रूस अभिन्न मित्र थे। और मित्र राष्ट्र दोनों के संयुक्त शत्रु। इसलिए तब किसी ने भी इस बात पर विश्वास नहीं किया। पर यह इतिहास प्रसिद्ध तथ्य है कि मित्र राष्ट्रों की सेनाओं में रूस और अमेरिका दोनों साथ-साथ मिलकर लड़े। “राष्ट्रपति रुजवेल्ट अधिक दिन तक राष्ट्रपति न रहकर मई 1945 तक दिवंगत हो जायेंगे” रुजवेल्ट सचमुच बीमार पड़े और साधारण-सी बीमारी के झटके से ही चल बसे। इस युद्ध का एक अमेरिकी सेनापति बाद में अमेरिका का राष्ट्रपति बनेगा।” सचमुच जनरल आइजन हीवर जो मित्र देशों की सेना में अमेरिका के सेनापति थे, बाद में राष्ट्रपति बने। “1947 में एशिया का एक महत्वपूर्ण देश अँग्रेजों के राज्य से निकल जायेगा।” भारत वर्ष को लोग भूले न होंगे, 1947 में ही स्वतन्त्र हुआ था।

युवा-अवस्था बीतने के साथ उनकी ख्याति निरन्तर एक भविष्य वक्ता के रूप में बढ़ती गई। मई सन् 1945 में एक दिन वे अपने आप अमेरिकी समाचार पत्र ‘वाकर काउन्टी मैसेन्जर’ के सम्पादक के पास जाकर बोले- ‘8 अगस्त को एक ऐसी भयंकर घटना होगी, जिससे जापान के साथ चल रहे युद्ध की स्थिति बिलकुल बदल जायेगी।” सम्पादक ने वह घटना नोट तो कर ली पर तब तक उन्हें कोई विश्वास न हुआ।

8 अगस्त ही वह क्रूर दिन था, जब हिरोशिमा पर बम गिराया गया, फलस्वरूप एक लाख से भी अधिक व्यक्ति मर गये या अपंग हो गये, यह बातें बाद में तुरन्त सत्य हो गईं। इस वज्रपात से जापान बुरी तरह लड़खड़ा गया। उसने आत्म-समर्पण कर दिया और उसी के साथ 18 अगस्त को युद्ध-विराम की घोषणा कर दी गई।

इसके बाद उन्होंने नीग्रो नेता मार्टिन लूथर किंग, राबर्ट कैनेडी की हत्या की भविष्य वाणियाँ कीं जो शत प्रतिशत समय और घटनाओं के साथ सत्य निकलीं। मार्टिन लूथर किंग की हत्या के लिये जो उन्होंने बारेन स्मिथ नामक एक प्रेस रिपोर्टर को 2 अप्रैल को ही लिख कर तक दे दिया था। उस पत्र में यद्यपि उसने नाम नहीं लिखा पर नीग्रो-नेता का स्पष्ट अर्थ ही मार्टिन लूथर किंग से था। इसी प्रकार उन्होंने जब दुबारा फिर कहा कि एक और नीग्रो नेता की हत्या होगी, तब तो लोगों ने उसे बिलकुल निराधार कह दिया था, किन्तु 22 जुलाई 1969 को जब स्व0 मार्टिन लूथर किंग के भाई रेवरेंड विलियम्स किंग का शव एक तालाब में तैरता पाया गया, तब लोगों को सच्चाई का पता चला।

अमेरिका को चीनी नागरिकों से सतर्क करने का श्रेय तो पूरी तरह एण्डरसन को ही दिया जाता है। उसने कहा था कि- “चीनी सारे संसार में अपना कूटजाल फैलायेंगे। अमेरिका में भीतर ही भीतर उनके षड़यन्त्र चलेंगे और जब केन्द्रीय विभाग उसकी जाँच करेगा, तब यही निष्कर्ष निकलेगा कि अमेरिका में चीनियों का अस्तित्व खतरे से खाली नहीं।”

इसके कुछ ही दिन बाद देश के भीतरी दंगों से पीड़ित अमेरिका सरकार ने एक जाँच कमेटी बैठाई। इस के महा निर्देशक श्री हूवर नियुक्त हुए उन्होंने 1969 को अपनी जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत की, उसमें वही बातें पाई गईं, जो एण्डरसन ने पहले ही बता दी थीं।


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