विमुक्ति सुख का अनुभव करते हुये भगवान बुद्ध एक सप्ताह तक समाधि में बने रहे। मेघ घिरे थे, ठण्डी हवा चल रही थी, बड़ा दुर्दिन हो गया था। यह देखकर सर्पराज मुचलिन्द ने बुद्ध के शरीर को सात बार लपेटा लगाकर फन निकालकर खड़ा हो गया। सात दिन तक उनके शरीर की रक्षा मुचलिन्द ने ही की।
एक ग्रामीण जो यह देखकर भाग गया था, जब भगवान बुद्ध समाधि से उठे जो आकर पूछा-महाराज सर्प ने आपका अहित नहीं किया। इस पर बुद्ध बोले-तात्! जो संसार के सभी प्राणियों को संयम और मित्र-भाव से देखता है, उसके लिये कोई बुरा नहीं।