“मैं कौन हूँ?”

February 2001

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“मैं कौन हूँ?” जो स्वयं से इस सवाल को नहीं पूछता है, ज्ञान के द्वार उसके लिए बंद ही रह जाते हैं। उस द्वार को खोलने की चाबी यही है कि स्वयं से पूछों, “मैं कौन हूँ?” और जो तीव्रता से, समग्रता से अपने से यह सवाल पूछता है, वह स्वयं ही उत्तर भी पा जाता है।

महान् दार्शनिक सर्वपल्ली राधाकृष्णन् बूढ़े हो चले थे। उनकी देह जो कभी अति सुँदर और स्वस्थ थी, अब जर्जर और ढीली हो गई थी। जीवन संध्या के लक्षण प्रकट होने लगे थे। ऐसे बुढ़ापे की सुबह की घटना है। वह स्नानगृह में थे। स्नान के बाद वह जैसे ही अपने शरीर को पोंछने लगे, तभी अचानक उन्होंने गहरी नजर से देखा कि वह देह तो कब की जा चुकी है, जिसे वह अपनी माने बैठे थे। शरीर तो बिलकुल ही बदल गया है। वह काया अब कहाँ हैं? जिसे उन्होंने प्रेम किया था, जिस पर उन्होंने गौरव किया था, उसकी जगह यह खंडहर ही तो बाकी बचा रह गया है।

इस सोच के साथ उनके दार्शनिक मन में एक अत्यंत अभिनव बोध भी अंकुरित होने लगा, ‘शरीर तो वह नहीं है, लेकिन वह तो वही हैं। वह तो बिलकुल भी नहीं बदले हैं। अपने सारे कर्तृत्वों, उपलब्धियों के ढेर के बीच वह अपनी गहराई में जस−के−तस हैं। व्यक्तित्व के बनते−बदलते−विकसित होते विविध आयामों के बीच व्यक्ति के रूप में वह वही−के−वही हैं।’ तब उन्होंने स्वयं से ही पूछा,’ आह! तब फिर मैं कौन हूँ?’ अपनी गहराइयों में उन्हें उत्तर भी मिला और तत्त्ववेत्ता के रूप में वह संपूर्ण हुए।

यही सवाल प्रत्येक को अपने से पूछना होता है। यही असली सवाल है। जो इसे नहीं पूछते, वे एक प्रकार से व्यर्थ जीवन जीते हैं। जो पूछते ही नहीं, वे भला उत्तर भी कैसे पा सकेंगे? इसलिए स्वयं से अभी और तत्काल यह सवाल पूछो कि “मैं कौन हूँ?” अपने अंतरतम की गहराइयों में इस प्रश्न को गूँजने दो, “मैं कौन हूँ?” जब प्राणों की पूरी शक्ति से कोई पूछता है, तो उसे अवश्य ही उत्तर उपलब्ध होता है और उत्तर जीवन की सारी दिशा और अर्थ को परिवर्तित कर देता है।

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फरवरी−मार्च 2001 के पर्व−त्योहार

4 फरवरी, 2001 जया एकादशी

8 फरवरी, 2001 गुरु रविदास जयंती

17 फरवरी, 2001 स्वामी दयानंद जयंती

18 फरवरी, 2001 विजया एकादशी

21 फरवरी, 2001 महाशिव रात्रि

24 फरवरी, 2001 फुलेरा दूज/रामकृष्ण परमहंस जयंती

फरवरी−मार्च 2001 के पर्व−त्योहार 4 फरवरी, 2001 जया एकादशी 8 फरवरी, 2001 गुरु रविदास जयंती 17 फरवरी, 2001 स्वामी दयानंद जयंती 18 फरवरी, 2001 विजया एकादशी 21 फरवरी, 2001 महाशिव रात्रि 24 फरवरी, 2001 फुलेरा दूज/रामकृष्ण परमहंस जयंती 3 मार्च, 2001 होलाष्टक 

6 मार्च, 2001 आमलकी एकादशी

9 मार्च, 2001 होलिका दहन

10 मार्च, 2001 धूलि वंदन

14 मार्च, 2001 रंगपंचमी

20 मार्च, 2001 पापमोचनी एकादशी

22 मार्च, 2001 प्रदोश

23 मार्च, 2001 संवत्सरारंभ/नवरात्र घटस्थापन

6 मार्च, 2001 आमलकी एकादशी 9 मार्च, 2001 होलिका दहन 10 मार्च, 2001 धूलि वंदन 14 मार्च, 2001 रंगपंचमी 20 मार्च, 2001 पापमोचनी एकादशी 22 मार्च, 2001 प्रदोश 23 मार्च, 2001 संवत्सरारंभ/नवरात्र घटस्थापन 28 मार्च, 2001 गणगौर


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