देव संस्कृति का वासस्थान समर भूमि की लाल कीच नहीं, सहिष्णुता, का शीतल प्रदेश है, उदारता का उज्ज्वल क्षीर समुद्र है। −पं श्रीराम शर्मा आचार्य