VigyapanSuchana

February 2001

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कृपया ध्यान दें

‘गायत्री’ नाम से एक धारावाहिक दूरदर्शन−1 पर प्रति शनिवार 7.30 से 8.00 बजे सायंकाल अवधि में 24 फरवरी 2001 से प्रसारित होने जा रहे है। यह धारावाहिक गायत्री तीर्थ शाँतिकुँज हरिद्वार के मार्गदर्शन में परमपूज्य गुरुदेव एवं परमवंदनीय माताजी के परोक्ष संरक्षण में बना है। गायत्री महाशक्ति की उत्पत्ति से लेकर विश्वामित्र, वशिष्ठ, गौतम आदि ऋषिगणों के कथानकों से गुँथ 104 श्रृंखलाओं तक चलने वाला यह धारावाहिक महापूर्णाहुति के अनुयाज की हीरक जयंती की वेला में गुरुसत्ता को ही समर्पित है।

स्मारिका अब उपलब्ध

बारहवर्षीय युगसंधि महापुरश्चरण के समापन पर प्रकाशित ‘महापूर्णाहुति’ नामक स्मारिका अब गायत्री तीर्थ शाँतिकुँज में उपलब्ध है। इसका विमोचन वसंत पर्व 29-1-2001 को प्रस्तावित था। इसमें गुरुसत्ता से जुड़े दुर्लभ संस्मरण एवं बारहवर्षीय साधना अभियान का सचित्र विवरण प्रस्तुत किए गए हैं। नए−पुराने हर परिजन के लिए प्रायः 224 पृष्ठों का यह ग्रंथ संग्रहणीय है। पच्चीस रुपये में यह उपलब्ध है। डाक खरच अतिरिक्त है।

आजीवन सदस्यता

अखण्ड ज्योति का वार्षिक चंदा प्रतिवर्ष भेजने में पाठकों को असुविधा होती है, डाक व्यय लगता है और चंदा विलंब से मिलने पर पिछले अंक भी उपलब्ध नहीं हो पाते। जो परिजन निरंतर अखण्ड ज्योति पढ़ना चाहते हैं, वे आजीवन सदस्यता शुल्क 900/- अखण्ड ज्योति संस्थान मथुरा के पते पर भिजवा दें। जब तक अखण्ड ज्योति प्रकाशित होगी, उन्हें मिलती रहेगी। जो भी पिछले आजीवन सदस्य अब पत्रिका बंद करना चाहें, अपना रुपया वापस ले सकते हैं।

आशा है अधिक−से−अधिक परिजन इस योजना से लाभान्वित होंगे।


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