रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे कि यदि तुम गाँव में जाओ, यात्रा में जाकर देखो, तो तुम्हें वहाँ एक कलाकार मिलेगा, जो सभी का अभिनय कर लेता है। मोनोएक्ट प्ले में वह माहिर होता है। मैं इस पति की स्त्री हूँ, मुझे ही समझ लो, कहकर माथे पर घूँघट डाल लेता है। ठाकुर इतना कहकर खुद अभिनय करके दिखाते थे वह कहते थे कि यही अवतार है। परदा जो डाल लिया, यह माया है। परदा हटा दिया, तो पहचान लिया कि मैं कौन हूँ। जो राम था, कृष्ण था यही रामकृष्ण होकर आया है।