युवक नरेंद्र से जब भी रामकृष्ण परमहंस समाज सेवा, दलितों का उद्धार एवं विश्व निर्माण हेतु आगे आने की बात कहते, नरेंद्र एक ही बात कहता, “मुझे अपने पारिवारिक उत्तरदायित्व सँभालने हैं।” व्यामोह से मुक्ति दिलाने हेतु भगवत् स्वरूप रामकृष्ण को काली को माध्यम बनाना पड़ा। इससे जो शक्ति मिली, अंतः में प्रकाश पहुँचा, तो नरेंद्र का गुण−कर्म−स्वभाव आमूल−चूल बदल गया और वह विवेकानंद बनकर विश्ववंद्य महापुरुष कहलाए।