युगचेतना के अवतरण ही हीरक जयंती का वर्ष है यह, जो वसंत पर्व 12 (29/1/12) से आरंभ हुआ है। इक्कीसवीं सदी में भारी उथल-पुथल के बीच नवसृजन की संभावनाओं को लेकर जिस महापुरुषार्थ की शुरुआत सन् 1926 में हुई थी, उसने 75 वर्ष की परिपक्वता प्राप्त कर ली है। अब भारतभर एवं विश्वभर में गायत्री परिवार से जुड़े परिजनों को इसके लिए विशिष्ट पुरुषार्थ करना है। इसके लिए उत्साह भरा वातावरण बनाने एवं कुछ रचनात्मक कर दिखाने हेतु मार्गदर्शक बिंदु यहाँ प्रस्तुत हैं।
(अ) हीरक जयंती क्या है, यह समझाने का प्रयास सभी के द्वारा चलना चाहिए। अखंड दीपक के 75वें वर्ष में प्रवेश के कारण यह अपनी निज की जीवन-साधना को प्रखर बनाने का वर्ष है। परमवंदनीया माताजी के 75 वर्ष पूरे होने के कारण यह नारी जागृति-नारी शक्ति को नेतृत्व प्रदान करने वाला वर्ष है। भागवत् चेतना के धरती पर अवतरण का 75वाँ वर्ष होने के कारण यह सभी में विधेयात्मक उल्लास भरने का वर्ष है। इसके लिए पोर्स्टस, बैनर्स, पर्चे वितरण करना चाहिए स्थान-स्थान पर उन्हें लगाना चाहिए तथा रैली आदि एवं छोटे कार्यक्रमों द्वारा उन्हें जन-जन के मनों में बिठाने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्रज्ञा अभियान ‘पाक्षिक’ के पृष्ठ पाँच पर ऐसे बैनर्स-परिपत्रों के प्रारूप दिए गए हैं। उन्हें अपने स्तर पर प्रकाशित कर वितरित किया जा सकता है। ‘हीरक जयंती वर्ष के अभियान की दिशाधारा’ को स्पष्ट करते हुए एक पुस्तिका तैयार कर दी गई है। इसे भी मँगाकर वितरित किया जा सकता है।
(ब) यह वर्ष सात आंदोलनों को गति देने का वर्ष है। साधना स्वास्थ्य शिक्षा स्वावलंबन पर्यावरण नारी जागरण, व्यसन मुक्ति, कुरीति उन्मूलन इन सातों आंदोलनों से संबंधित प्रदर्शनियों, प्रशिक्षण एवं इनसे जुड़ी विभूतियों को जगाने हेतु संकल्पित कराने हेतु विशिष्ट दीपयज्ञों का क्रम बन सकता है। प्रदर्शनियों का निर्माण केंद्र में किया जा रहा है। प्रशिक्षण के क्रम में जीवन साधना आँदोलन को गति देने के लिए शक्तिपीठों पर सत्रों का क्रम 2 मार्च से आरंभ हो चुका है। विशिष्ट विधाओं के प्रशिक्षण भी इसी क्रम में आगे चलते रहेंगे। नगर, मुहल्ले, गाँवों के स्तर पर इन आँदोलनों के दीपयज्ञों में संकल्प कराए जा सकते हैं एवं सुनिश्चित लक्ष्य निर्धारित किए जा सकते हैं। आँदोलन को गति देने के लिए समयदान-श्रमदान-साधनदान एवं विभूतिदान के संकल्प भी कराए जा सकते हैं।
(स) युगशक्ति के प्रतीक की स्थापनाओं का क्रम- नवसृजन हेतु देवत्व संगठित होकर दुर्गाशक्ति-युगशक्ति का विकास करे, अब यह जरूरी है। इसके लिए परमपूज्य गुरुदेव द्वारा निर्धारित लाल मशाल का एक चित्र इन्हीं के द्वार प्रदत्त व्याख्या सहित बना दिया गया है। इस प्रतीक चित्र की स्थापना धर्म-संप्रदाय-जाति-वर्ग के भेद से परे कहीं भी कराई जा सकती है। जहाँ भी यह स्थापित होगा, भावनाशीलों को नवसृजन में लगे रहने की प्रेरणाएँ देता रहेगा। ईश्वर के साथ भागीदारी एवं संगठित महापुरुषार्थ की प्रेरणाएँ देता रहेगा। इसे अपने उपासनागृहों, शक्तिपीठों, प्रज्ञामंडलों, संगठित इकाइयों, घरों, कार्यालयों, क्लबों, संगठनों के मिलन केंद्रों पर भी लगाया जा सकता है। इस प्रतीक स्थापना के परिणाम बड़े दूरगामी होंगे।
(द) हीरक इकाइयों का विकास- हर क्षेत्र समर्थ बने, अपनी जिम्मेदारियाँ स्वयं उठाने लगे, उस क्षेत्र के सभी दायित्वों को निभाते रहने की सामर्थ्य विकसित कर सके, इसके लिए विकसित क्षेत्रों को हीरक इकाई नाम दिया जा रहा है। प्रत्येक इकाई में प्रचारक-प्रशिक्षक, सहयोगी-समीक्षक हर स्तर के कार्यकर्ता होंगे। इस संबंध में पुराने कार्यकर्ताओं को मात्र व्यवस्थित होने की जरूरत है। केंद्र इस संबंध में सुनिश्चित मार्गदर्शन सतत देता रहेगा।
(ई) झोला पुस्तकालयों का पुनरुज्जीवन-परमपूज्य गुरुदेव ने ज्ञानयज्ञ को सबसे बड़ा यज्ञ कहा है। नए लोगों में मिशन फैलेगा, तो उस विचारक्राँति आँदोलन को गति देने से, जो झोला पुस्तकालयों द्वारा आरंभ किया गया था। अब कहीं-कहीं वह प्रक्रिया शिथिल होती दिखाई देती है। हीरक जयंती वर्ष में नए प्राणवान् साहित्य एवं ‘अखण्ड ज्योति’ सहित झोलाधारी अपने साथियों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
(फ) हीरक जयंती वर्ष के कुछ जयघोष-(1) हीरक वर्ष मनाएंगे-हम हीरे कहलाएंगे (2) गढ़े तराशे जाएंगे-हीरे से बन जाएंगे (3) बुरे भाव मिट जाएंगे-मन हीरे बन जायेंगे (4) चाहता यही वतन-सृजनशील संगठन (5) चाहते धरा गगन-सृजनशील संगठन (6) कौन रोक दे पतन-सृजनशील संगठन (7) कौन करे नवसृजन-सृजनशील संगठन (8) जीवन में देवत्व जगाएं-सच्चे सृजनवीर कहलाएँ (9) मन निर्मल तन स्वस्थ बनाएँ-सच्चे सृजनवीर कहलाएँ (10) हीरे-सा व्यक्तित्व जगाएँ-सच्चे सृजनवीर कहलाएँ (11) देवों-सा परिवार बनाएँ-सच्चे सृजनवीर कहलाएँ (12) युग की पहचान-बेहतर इंसान (13) माँगता जहान बेहतर इंसान (14) नवयुग का है लक्ष्य महान्-बनें सभी बेहतर इंसान (15) यही माँगता आज जहान-बनें सभी बेहतर इंसान।