सामने आया समय बार-बार नहीं आता। मानव जीवन एक सौभाग्य है, जो बार-बार नहीं मिलता? विडंबना यही है कि इसका सदुपयोग करने वाले कम ही होते हैं। जो जीवन का समुचित उपयोग करना जानते हैं, वे क्रमिक गति से ऊँचे उठते हुए चरम ध्येय को अंततः प्राप्त करके ही रहते हैं।
जो आत्मस्वरूप को भूलते और उत्तरदायित्वों से विमुख होते हैं, वे पतन के गर्त में गिरते हैं।