VigyapanSuchana

November 1998

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पत्र-व्यवहार में यह ध्यान दें

मिशन का विस्तार जिस गति से हो रहा है, उसी गति से पत्र व्यवहार में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इस दबाव के बावजूद शान्तिकुञ्ज की पत्राचार व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाये रखने के लिए परिजनों से अनुरोध है कि-

व्यक्तिगत तथा पारिवारिक पत्रों के अलावा सभी पत्रों को आदरणीय शैल जीजी के नाम से सम्बोधित करके ही लिखना चाहिए। सभी विभागों के लिए भेजे गए पत्रों में पते के स्थान पर आदरणीया शैलबाला पंड्या, शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार (उ.प्र.) २४९४११ लिखा जाना चाहिए।

समस्याओं के निदान से संबंधित पत्रों के अलावा जिस विभाग से कार्य है, उसका उल्लेख पत्र में ऊपर ही करना चाहिए। संगठन प्रकोष्ठ के अंतर्गत शक्तिपीठ, प्रज्ञापीठ, परिव्राजक, प्रज्ञामंडल तथा महिला-मंडलों का कार्य होता है। इनमें से जिस विभाग से संबंधित पत्र हो, ऊपर स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। इसी प्रकार रचनात्मक, शिक्षा, एकाउण्ट, पाक्षिक, समाचार आदि विभागों का उल्लेख करने से पत्र सुगमता से सही जगह पहुँच सकते है।

कई विभागों से संबद्ध बातें हो, तो एक ही लिफाफे में अलग-अलग कागजों पर भिन्न-भिन्न विभागों के कार्य लिखना उचित है। हर कागज पर अपना पत्राचार का पता भी लिखें। इससे हर विभाग द्वारा शीघ्र कार्यवाही करना संभव हो सकेगा।

अधिकांश पत्रों को रिकॉर्ड के लिए सुरक्षित रखा जाता है। अतः अलग-अलग विभागों के लिए अलग कागज उपयुक्त कागज पर लिखकर पत्र भेजना चाहिए।


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