लखनऊ स्टेशन पर तब एक अँग्रेज स्टेशन-मास्टर था। उसके कमरे के आगे जलती अँगीठी पर एक वृद्धा अत्याधिक ठण्ड के कारण हाथ सेंकने जा पहुँची।
स्टेशन-मास्टर इसमें अपनी तौहीन समझकर आपे से बाहर हो गए और इतने जोर से उसे धमकाने लगे कि यात्रियों की भीड़ जमा हो गई।
भीड़ में से एक व्यक्ति निकला बोला-आप तो ईसाई है न? बाइबिल पढ़ते या सुनते है न? फिर उनके संकेतों को ध्यानपूर्वक क्यों नहीं समझ पाते? यदि आप जैसे समाज के वरिष्ठ लोग भी ऐसा आचरण करेंगे, तो पारस्परिक व्यवहार के सारे मापदण्ड नष्ट हो जाएँगे। “ भीड़ के उस व्यक्ति ने अपनी ऊनी चादर बुढ़िया को ओढ़ा दी और भीड़ के साथ आगे बढ़ गया। यह यात्री था-पादरी सी एफ एन्डूज जो जीवन भर पीड़ित मानवता की सेवा में संलग्न रहे।