एक अभूतपूर्व योग समागम हो रहा है गायत्रीतीर्थ में

December 1998

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गायत्री उपासना की धुरी पर ही गायत्री परिवार के समस्त क्रिया-कलाप केन्द्रित है। गायत्री एक समग्र योग-शास्त्र है। योग ही तो कर्म को कौशलता का निखार देकर व्यक्तित्व को विभूतियों से सजाता है। योग ही है तो आत्मा व परमात्मा के मिलन की रसानुभूति को इसी जीवन में साकार करके उसका आनंद प्रदान करता देखा जाता है। योग ही है जो जीवन को समत्व से अभिपूरित कर स्थितप्रज्ञ बनने की कला सिखाता है।

परमपूज्य गुरुदेव ने एक योगी का जीवन जिया एवं स्वामी विवेकानन्द द्वारा जारी किये गए कार्य को सारे भारत एवं विश्व में वैज्ञानिक अध्यात्मवाद को विचारधारा के रूप में व्यापक विस्तार दिया। हम उसी को योगी के रूप में जीवन जीने की कला का शिक्षण, वे अपने जीवन से, वाणी से एवं लेखनी से सतत् देते रहे एवं आज उनके साहित्य का स्वाध्याय कर हम उस शिक्षण को हस्तामलकवत सामने पा सकते हैं।

‘योग’ व ‘योगा’ दो ऐसे शब्द है, जिनके विषय में सर्वाधिक भ्रांतिपूर्ण मान्यताएँ प्रचलित है। राजयोग व हठयोग, क्रियायोग व ध्यानयोग आदि सभी विधियाँ यदि सही रूप में समझ ली जाएँ तो अपभ्रंश हो गए ‘योगा ‘ की हममें से किसी को भी आवश्यकता न रहे। कुछ आँग्लभाषा का चमत्कार- कुछ पाश्चात्य ठप्पा, योग ‘योगा’ बनकर विदेश चला गया व आज की अशान्ति -तनाव भरे मानव के लिए एक संजीवनी बन गया। वापस आयातित होकर यह भरत आया तो ‘योगा’ ही बना रहा व आज भी इसे एक फैशन के रूप में-जिमेशियम के फिजिकल फिटनेस क्लब के घटक के विकृत रूप में देखा जा सकता हैं

शान्तिकुञ्ज गायत्रीतीर्थ एवं विवेकानन्द केन्द्र बैंगलोर के समन्वित प्रयासों से इस दिसम्बर माह में १३ से १८ तारीख तक प्री-कान्फ्रैन्स (पूर्व योग अधिवेशन) के रूप में तथा १९ व २० दिसम्बर की तारीखों में एक पूरे अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन के रूप में रत में द्वितीय बार इस प्रकार समागम संपन्न होने जा रहा है, जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों द्वारा योग के विभिन्न आयामों आयामों पर चर्चा होगी- शोध-प्रपत्र पढ़े जाएँगे एवं योग ओलम्पियाड के रूप में बच्चे को स्वस्थ-मेधावी बनाने के लिए एक ‘हिमालय’ नामक प्रतिस्पर्द्धा भी होगी। फिर इस तरह का समागम १९१६ के दिसम्बर माह में दिल्ली महरौली के साधना-अनुसंधान केन्द्र पर संपन्न हुआ था। अब यह गायत्री परिवार के मुख्यालय शान्तिकुञ्ज में बड़े विराट व्यापक रूप में संपन्न होने जा रहा हैं अभी तक भारत से बाहर के काफी विद्वज्जनों की इस संबंध में आने की स्वीकृतियाँ आ गयी है। एवं ऐसा लगता है कि अनूठे आयोजन में शीतऋतु के बावजूद अच्छा -खासा समागम हो सकेगा। शिविर में भाग लेने वाले योगसाधकों, प्रशिक्षकों के ठहरने की व्यवस्था शान्तिकुञ्ज में ही की गयी है। अमेरिका, ब्राजील, कनाडा, जापान, इजराइल, हंगरी, इटली, यू.के. आस्ट्रेलिया, अर्जेन्टीना, रूस व दक्षिण अमेरिका आदि देशों से काफी प्रतिभागी इसमें आ रहे है। निश्चित ही यह समागम विश्वसंस्कृति के स्वरूप को परिलक्षित करेगा।

१३ से १८ दिसम्बर, १९९८ की तारीखों में हो रही प्री–कान्फ्रैन्स में ५ ट्रैक में कार्यक्रम विभाजित किए गए है। प्रथम ट्रैक (आयाम ) में बच्चों के लिए व्यक्तित्व परिष्कार प्रशिक्षण का क्रम चलेगा एवं साथ -ही साथ योग शिक्षकों के प्रशिक्षण का क्रम भी चलेगा। द्वितीय ट्रैक में क्वान्टम भौतिकी-अनेकत्व में एकत्व के सिद्धान्त एवं उपनिषद् व चेतना विज्ञान पर चर्चा होगी। तीसरे ट्रैक में योग चिकित्सा उपचार के शिविर चलेंगे। जिनमें योग शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। चौथे ट्रैक में व्यक्ति की प्रबंधन क्षमता द्वारा तनाव चिकित्सा (एस एम ई टी) पर दिन भर प्रशिक्षण चलेगा-साथ-ही-साथ होलिस्टिक मैनेजमेण्ट पर भी चर्चा का क्रम होगा, पाँचवें ट्रैक में योग क्षेत्र में अनुसंधान की विभिन्न धाराओं पर चर्चा होगी। पाँचों ट्रैक विभिन्न हॉलों में साथ-साथ चलेंगे। प्रातः ४ बजे जागरण से दिनचर्या का जारी होगा एवं ९.३० बजे शयन के साथ समापन। प्री-कान्फ्रैन्स का उद्घाटन १३ दिसम्बर रविवार को प्रातः ९.३० पर होगा एवं इसमें उपर्युक्त टैक्स के साथ प्राणिक ऊर्जा संचार, शब्दब्रह्म से ध्यानयोग सिद्धि, उच्चस्तरीय योगाभ्यास आदि के प्रशिक्षण भी निष्णात व योगप्रशिक्षकों के माध्यम से दिये जाएँगे।

इसमें विद्यार्थियों से लेकर बड़ों तक सभी को भाग लेने हेतु आमंत्रित किया जा रहा है। चूँकि अधिक लोगों के प्री–कान्फ्रैन्स एवं मुख्य कान्फ्रैन्स में जो १९-२० दिसंबर को है, भाग लेने की संभावना है- स्थानों को पूर्व से ही आरक्षित करने की व्यवस्था की गयी है। इस अवधि में पूरा आश्रम इसी शिविर के लिए आरक्षित रहेगा। आस-पास के स्थानों में भी आरक्षण किया जा रहा है। पूर्ण जानकारी के लिए एक दिसम्बर का प्रज्ञा अभियान पाक्षिक सभी पढ़ ले। ब्रोशर्स व पोस्टर्स भी शान्तिकुञ्ज से मँगा लें। फार्म भरकर पंजीकरण करा ले। यह प्रशिक्षण उच्चस्तरीय होने के कारण इसमें इस विधा से परिचित परिजनों को ही आवेदन भेजने हेतु कह जा रहा है। आसपास के पाँच जिलों के विद्यार्थियों को भी दक्षिण भारत के आने वाले विद्यार्थियों के साथ ‘हिमालय’ योग ओलम्पियाड में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया गया है। संभव है अगले दिनों स्थान बड़ा होने पर यही क्रम में दो बार बड़े स्तर पर आयोजित हो। इसके अतिरिक्त एक अतिरिक्त आकर्षण बैंगलोर की एक कला संस्था द्वारा 'उत्तिष्ठत जागृत’ नामक नृत्यनाटिका होगी। निश्चित ही हिमालय के द्वारा द्वार पर आयोजित इस महाअधिवेशन के फलदायी परिणाम उत्तर-दक्षिण समन्वय के साथ विश्वसंस्कृति की योगसाधना की धुरी पर केन्द्रित होने के रूप में सामने आयेंगे।

*समाप्त*


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