Quotation

December 1998

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

“यदि हमें हिन्दू धर्मानुयायी होने और एक मंत्र विशेष पर उसका पक्षपाती होने के दोष से मुक्त किया जा सके, तो हमें यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि गायत्री मंत्र की शब्द संरचना अनुपम एवं अद्भुत है। आगम और निगम का समस्त भारतीय अध्यात्म इसी पृष्ठभूमि पर खड़ा है। मंत्र व तंत्र की अगणित शाखाएँ इसी का विस्तार परिवार हैं। अन्य धर्मावलम्बियों के अन्य मंत्र हो सकते हैं पर जब कभी सार्वभौम, सार्वजनीन मंत्र की खोज दुराग्रहों-पूर्वाग्रहों से दूर रहकर निष्पक्ष भाव से की जाएगी, तो उसका निष्कर्ष गायत्री मंत्र ही निकलेगा।”

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles