Quotation

February 1997

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

मन की चंचल-वृत्ति से घबराने की आवश्यकता नहीं हैं। बिजली तथा वायु की शक्ति की तरह उसके उपयोग की बात सोची जानी चाहिए। अतः मन के द्वारा उत्तेजित वृत्तियों पर नियन्त्रण व अंकुश रखने की आवश्यकता है। फिर उसी चंचल मन से अनेकों उपयोगी कार्य किये जा सकते हैं। जरूरत मन को साधने की है, फिर तो वह उसी प्रकार आत्मा के इशारों पर नाचता है जिस प्रकार मदारी के रीछ-बन्दर और सर्कस के रिंग मास्टर के इशारे पर शेर और हाथी।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles