पेनन वर्ग यह मानते हैं कि वर्तमान पलों में विज्ञान अपनी सीमित परिधि से हटकर जिस आयाम का प्रायोगिक विश्लेषण कर रहा है, वह वस्तुतः अध्यात्म जगत का तत्वाँश है। वैज्ञानिक समुदाय की यह सत्यान्वेषण वृत्ति कल के नवयुग में निश्चित ही विज्ञान के उस स्वरूप का सृजन करेगी जब वह भौतिक विज्ञान न होकर अध्यात्म विज्ञान का रूप ले लेगा और उसके अन्वेषण-अनुसंधान का दायरा पदार्थ की सीमाओं तक संकुचित न रहकर चेतना के उन्नत स्तरों में अपना विस्तार करेगा। इक्कीसवीं सदी में विज्ञान की यही उज्ज्वल भवितव्यता होगी।