अंधविश्वासों की मृगमरीचिका (Kahani)

February 1997

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अंधविश्वासों की मृगमरीचिका में लोग कैसे फँसते हैं, इसकी भी विचित्र विडम्बना है। एक बार नाइजीरिया के एक पादरी जंगली लोगों के बीच फँस गए । वे उन्हें मार डालना चाहते थे।

पादरी ने इन लोगों से कहा-वह जादूगर है। उसके पास बहुत भूत हैं। वह चाहे जिससे उसकी मुलाकात करा सकते हैं।

पादरी के पास एक बड़ा-सा दर्पण था। उन्हें उसमें भूत देखने के लिए बुलाया गया। जो आता, अपना चेहरा उसमें देखता और भूत के साक्षात् दर्शन करके डर जाता।

अबकी बार पादरी ने अन्तिम चमत्कार दिखाया। उसके मुँह में नकली दाँत थे। उसने वे निकाल कर दिखाए और दुबारा मुँह में डाल लिए।

दर्पण में भूत देखना और मुँह से दाँत निकाल कर फिर मुँह में डाल लेना -यह दो चमत्कार इन जंगली लोगों को डराने के लिए काफी थे। वे डर गये और पादरी को अपना गुरु मान लिया । धीरे-धीरे पादरी ने उन्हें ईसाई धर्म में दीक्षित कर लिया।


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