पुरुष को शिक्षित करना ऐसा है जो अपने पीछे कुछ नहीं छोड़ जाता। पर स्त्रियों को शिक्षित करना ऐसा है जो अपने पीछे पीढ़ियाँ छोड़ जाती हैं।
आनन्द और सम्मान के पीछे मनुष्य का विवेकयुक्त परमार्थ छिपा रहता है। भले ही वह आँखों से दीख पड़े या नहीं भी।