Quotation

February 1997

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चाकू कितने ही अच्छे लोहे का बना क्यों न हो, उसकी धार बनाने के लिए पत्थर पर रगड़ना आवश्यक है। स्वाध्याय ऐसा ही पत्थर है, जिसके संपर्क में निरन्तर रहना चाहिए।

संसार में पराजित निराश, भयभीत और सशंकित होकर लोग किसी ऐसे देवता की तलाश में फिरते हैं जो आँखें मूँदकर कुपात्रों पर भी अनुग्रह लुटाता हो।


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