अन्ततः हुआ भी वैसा ही (Kahani)

March 1991

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बालक गोखले को अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण होने का पुरस्कार मिला।

उनने प्रसन्न होने के स्थान पर रोना शुरू कर दिया और कहा मैं इस पुरस्कार को ग्रहण नहीं कर सकता। यह प्रश्न तो मैंने दूसरे लड़के की नकल करके हल किये हैं।

अध्यापक बालक की सच्चाई से बड़े प्रभावित हुए और भविष्यवाणी करने लगे कि बड़ा होने पर यह कोई नर-रत्न महापुरुष बनकर रहेगा। अन्ततः हुआ भी वैसा ही।


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