डॉ. महेन्द्र सरकार कलकत्ता के माने हुए डॉक्टर थे। एक दिन वे रामकृष्ण परमहंस से मिलने गये। परमहंस जी बगीचे में कुछ काम कर रहे थे। डॉक्टर सरकार ने उन्हें माली समझा और कहा कुछ अच्छे से फूल लाओ परमहंस जी के चरणों में चढ़ाने हैं।
माली ने उन्हें अच्छे फूल लाकर दिए। साथ ही पीछे-पीछे स्वयं भी चलने लगे। दोनों अपने-अपने आसन पर बैठे तो डॉक्टर को बड़ा आश्चर्य हुआ कि माली होना कोई लज्जा की बात थोड़े है।