Quotation

March 1991

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

द्वितीय महायुद्ध में नोविल नामक एक रसायनवेत्ता ने डायनामाइट बारूद का अविष्कार किया। उसकी दोनों पक्ष द्वारा भारी माँग हुई, मुनाफा भी खूब कमाया गया।

नोविल ने अपनी सारी आमदनी का एक ट्रस्ट बना दिया। जिसको ब्याज से साहित्य विज्ञान जैसे अनेक क्षेत्रों को हर वर्ष पुरस्कार दिया जाता है। प्रत्येक पुरस्कार की राशि लाखों रुपया होती है।

असीम तृष्णा में आकुल व्याकुल लोग कुकृत्य करते और अनाचार बरतते दिखाई पड़ते हैं। समय का प्रवाह कुछ ऐसा ही चल पड़ा है। व्यक्तियों का समूह ही समाज है। कड़ियाँ मिलकर ही जंजीर बनती है। मनुष्य जैसे भी होंगे, उसी स्तर का समाज या शासन बनेगा। ऊपरी ढाँचे में सुधार लाने के लिए जड़ तक पहुँचने का प्रयत्न करना पड़ेगा।

लोक मानस को भ्रान्तियों से उबारने, न्याय के समर्थन में अड़ जाने और अनौचित्य के विरुद्ध सीना तान के खड़े हो जाने का साहस यदि जगाया जा सके तो इतने भर से वृत्तासुरों, हिरण्याक्षों, भस्मासुरों के सिंहासन हिल जायेंगे और वे जन समर्थन के अभाव में औंधे मुँह गिरने के लिए विवश होंगे।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118