सतयुग की वापसी (Kahani)

March 1991

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हिन्दुस्तान को स्वराज्य देने के सिलसिले में जाँच पड़ताल करने के लिए साइमन कमीशन भारत आया। उसने सर्वप्रथम गाँधी जी से भेंट परामर्श करना आवश्यक समझा।

कमीशन दिल्ली आया, वायसराय ने गाँधी जी को टेलीफोन में सूचना देकर दिल्ली हवाई जहाज से बुलाया ताकि वे जल्दी आ सकें।

गाँधी जी थर्ड क्लास में चलते थे। गरीब देश की एक पाई भी अपव्यय नहीं करना चाहते थे। वे थर्ड क्लास वाली रेल में बैठ कर ही दिल्ली पहुँचे। उनने कहा समय का मूल्य तो अवश्य है पर आदर्शों का निर्वाह मूल्य उससे भी अधिक है।

निष्ठुरता, एकाकीपन, अलगाव से भरे आज के समाज में सतयुगी संभावनाएँ तभी साकार होंगी जब मानव के अन्दर ब्राह्मणत्व जागेगा। सादा जीवन, उच्च विचार की परम्परा का विस्तार होगा। गरीबी को जानबूझकर ओढ़ने वालों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाएगा। बड़प्पन की कसौटी एक ही होगी, विकसित भावसंवेदना, श्रेष्ठ-उदात्त चिन्तन व समाज को ऊंचा उठाने वाले सत्कर्म। संधि वेला में ऐसे अनेक नव ब्राह्मण उभरकर आएँगे। जाति, वंश के भेद से परे इन महामानवों की जीवनचर्या परमार्थ पारायण होगी। सतयुग की वापसी तब ही तो होगी।


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